धनबाद: मां के दूध के बाद गाय के दूध को सर्वोतम माना गया है. हर किसी को गाय का दूध चाहिए, लेकिन कोई गाय पालना नहीं चाहता. खास कर शहरी क्षेत्रों में. नतीजा मिलावटी दूध की बिक्री हो रही है. इसके सेवन से फायदे के बदले नुकसान हो रहा है. अशोक वर्मा की रिपोर्ट.
महंगाई का भी असर
भूसा-छह रुपये किलो, चोकर-16 रुपये किलो, कुट्टा ( मूंग दाल का) – 19 रुपये किलो.
गर्भाधान की समस्या : पशु चिकित्सालय में भी इसकी व्यवस्था नहीं है. सूई जो आती है उसमें 90 फीसदी खराब होने का डर रहता है.
घाटे का सौदा
हाउसिंग कॉलोनी में खटाल चलाने वाले मुन्ना सिंह ने बताया कि उनके पास दस गाय हैं और तीन भाई रात दिन इसमें लगे रहते हैं. दसों गाय से 95 किलो दूध प्रतिदिन होता है. 30 रुपये किलो बिकता है, इस तरह प्रतिदिन 28 सौ पचास रुपये की आमदनी होती है. लेकिन खर्च काफी बढ़ गया है. प्रति गाय अगर दो सौ रुपये खर्च होता है तो दो हजार रुपये उस पर रख लीजिए . तीन लोगों का प्रतिदिन की मजदूरी जोड़े तो 12 सौ रुपये होता है. इस प्रकार 32 सौ रुपये खर्च है और आमदनी सिर्फ 2850 रुपये ही है. ऐसे में कभी – कभी लगता है कि सभी गाय को बेच कर कोई दूसरा धंधा करें.
खपत ज्यादा, उत्पादन कम
शहर में डेयरी दूध की खपत प्रतिदिन 24 हजार लीटर है. इसके अलावा चार हजार लीटर दूध गाय एवं भैंस से मिलता है. इसके बावजूद मिलावटी दूध खूब बिक रहा है. यहां प्रतिदिन 30 से 35 हजार लीटर दूध चाहिए.
मिलावटी दूध से बचें
पीएमसीएच के मेडिसीन विभाग के डॉ यूके ओझा का कहना है कि मिलावट स्लो प्वाइजन है. इससे स्नायु और पेट की बीमारी होती है. मिलावटी दूध का सेवन नहीं करें. कम लें लेकिन गाय का दूध लें.