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आइएसएम देगा चीन के जर्नल्स को टक्कर

धनबाद. दुनिया में रिसर्च के क्षेत्र में तहलका मचाने वाले चीन के जर्नल्स को अब आइएसएम टक्कर देगा. शुक्रवार को आइएसएम फैकल्टी इसके लिए जरूरी गुर से अपडेट हुए. मौका था आइएसएम के गोल्डन जुबली हॉल में संस्थान की सेंट्रल लाइब्रेरी तथा दुनिया के प्रसिद्ध जर्नल पब्लिशर स्प्रिंगर के सौजन्य से आयोजित ऑथर्स वर्कशॉप का. […]

धनबाद. दुनिया में रिसर्च के क्षेत्र में तहलका मचाने वाले चीन के जर्नल्स को अब आइएसएम टक्कर देगा. शुक्रवार को आइएसएम फैकल्टी इसके लिए जरूरी गुर से अपडेट हुए.

मौका था आइएसएम के गोल्डन जुबली हॉल में संस्थान की सेंट्रल लाइब्रेरी तथा दुनिया के प्रसिद्ध जर्नल पब्लिशर स्प्रिंगर के सौजन्य से आयोजित ऑथर्स वर्कशॉप का. वर्कशॉप के मुख्य स्पीकर थे हॉलैंड के स्प्रिंगर के वायस प्रेसिडेंट मि. क्रिस क्लुविटर. अन्य वक्ता थे मिस पायल, मि. सी कुमेरशन, जबकि मुख्य अतिथि थे निदेशक प्रो. डीसी पाणिग्रही व विशिष्ट अतिथि डीन एकेडमी प्रो. एस मोहंती.

स्प्रिंगर की संभव मदद से अवगत हुए : वर्कशॉप में क्रिस क्लुविटर ने फैकल्टी को आइएसएम के रिसर्चर को जर्नल डेवलप करने में स्प्रिंगर की संभव मदद से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि रिसर्च के लिए जानकारी रखना अलग बात है तथा उसे प्रदर्शित करने की कला अलग होती है. कई बार बेहतर जानकारी के बावजूद शोध लिखने का कौशल तथा प्रभावशाली शोध पत्रिकाओं में श्रेष्ठता के साथ इसके प्रकाशन की पेच में शोधकर्ता फंस जाते हैं. नतीजतन शोधकर्ता अपनी गुणवत्ता का सही प्रदर्शन नहीं कर पाते. कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. पार्था डे ने दिया, जबकि अभिजीत सेन ने विषय प्रवेश के साथ-साथ कार्यक्रम के स्वरूप पर चर्चा की.
आइंस्टाइन के नोबेल से जुड़ा तथ्य
आइएसएम के निदेशक प्रो. डीसी पाणिग्रही ने बताया कि महान वैज्ञानिक अल्वर्ट आइंस्टाइन के फिजिक्स के तीन रिसर्च को एक साल में नोबल पुरस्कार के लिए चयनित कर लिया गया. समस्या यह आ गयी कि नियमत: यह पुरस्कार उनके किसी एक रिसर्च को ही मिल सकता था. फलत: फिर से एक कमेटी बनाकर उनके तीनों रिसर्च का मंथन कर सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में उनके रिसर्च फोटो इलेक्ट्रिक इफेक्ट को पुरस्कार के लिए चुना गया. ऐसे में उन्हें नोबल पुरस्कार थ्योरी ऑफ रिलेटीविटी के लिए नहीं मिला था. उन्होंने बताया कि एेसे साइंटिस्ट से देश के साइंटिस्ट को सीखने की जरूरत है.

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