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सेंट्रल अस्पताल में हंगामा, डॉक्टर को पीटा
धनबाद: केंद्रीय अस्पताल में बुधवार को अहले सुबह तीन बजे के करीब गहन चिकित्सा कक्ष में भरती सेवानिवृत्त बीसीसीएलकर्मी राम पूजन प्रसाद (65) की मौत हो गयी. उसके बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगा अस्पताल परिसर में जम कर हंगामा व तोड़-फोड़ की. वहीं इलाज कर रहे एक डॉक्टर पिटाई की गयी. […]
धनबाद: केंद्रीय अस्पताल में बुधवार को अहले सुबह तीन बजे के करीब गहन चिकित्सा कक्ष में भरती सेवानिवृत्त बीसीसीएलकर्मी राम पूजन प्रसाद (65) की मौत हो गयी. उसके बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगा अस्पताल परिसर में जम कर हंगामा व तोड़-फोड़ की. वहीं इलाज कर रहे एक डॉक्टर पिटाई की गयी. अस्पताल प्रबंधन ने मामले की सूचना सरायढेला पुलिस व सीअाइएसएफ को दी. पुलिस व सीआइएसएफ ने किसी तरह मामले को शांत किया. मरीज किडनी, सुगर व हाइपर टेंशन की बीमारी से ग्रसित था.
क्या है आरोप : धनबाद के विशुनपुर निवासी राम पूजन प्रसाद (65) को तबीयत खराब होने के बाद मंगलवार की शाम केंद्रीय अस्पताल में भरती कराया था. इलाज के दौरान बुधवार की सुबह करीब तीन बजे मौत हो गयी. परिजनों का आरोप है कि मृत्यु की खबर उन्हें नहीं दी गयी थी. जबकि मरीज की मौत देर रात में ही हो गयी थी. पांच बजे के करीब मरीज के बारे में पूछने पर बताया गया कि उसकी मौत हो गयी. मृतक के पुत्र का कहना था कि इंजेक्शन गलत पड़ने के कारण मौत हुई है. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा जमकर हंगामा किया. इस दौरान परिजनों ने गहन चिकित्सा विभाग में तैनात एक डॉक्टर के साथ मारपीट भी की. अस्पताल के अन्य स्टॉफ के साथ भी नोक- झोंक व हाथापाई की गयी. इस दौरान गहन चिकित्सा विभाग का गेट व खिडकी तोड़ अन्य सामानों को तितर-बितर कर दिया गया.
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी : केंद्रीय अस्पताल में मेडिसिन विभाग के एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे. विभाग में तत्काल 10 विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ दो ही डॉक्टर हैं.
पत्र लिख कार्रवाई की मांग : मृतक के पुत्र मनोज प्रसाद ने सीएमएस जीएस पांडेय को पत्र लिख कर इलाज कर रहे डॉक्टर पर कार्रवाई करने की मांग की है. अस्पताल प्रबंधन ने भी मामले की शिकायत सरायढेला थाना में की है.
तोड़-फोड़ करने वालों पर कार्रवाई हो : आइएमए
आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष एके सिंह ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कोई डॉक्टर नहीं चाहता है कि उसका मरीज मरे. लेकिन परिजनों के द्वारा अस्पताल में तोड़-फोड़ करना व डॉक्टर की पिटाई करना काफी निंदनिय घटना है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई करे व डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया कराये, ताकि वे भय मुक्त हो कर मरीजों का इलाज कर सके. मालूम हो कि वर्ष 2014 के मार्च महीने में भी बीआइटी के छात्र की मौत के बाद अस्पताल में काफी हो हंगामा व तोड़-फोड़ की घटना हुई थी. इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन ने केंद्रीय अस्पताल में बाहरी मरीजों के इलाज पर रोक लगा दी थी. बाद में जिला जज के हस्तक्षेप के बाद बाहरी मरीजों का इलाज पुन: शुरू किया गया था.
लापरवाही नहीं हुई : सीएमएस
केंद्रीय अस्पताल के सीएमएस डॉ जीएस पांडेय ने कहा कि मरीज को काफी गंभीर अवस्था में यहां लाया गया था. मरीज का सुगर लेवल काफी कम हो गया था. साथ ही वह पहले से ही किडनी व हाइपर टेंशन का मरीज था. डॉक्टरों से इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है. इस के बावजूद हमारे डॉक्टर व स्टॉफ के साथ मरीज के परिजनों द्वारा मारपीट की गयी. यहां तक की अस्पताल में काफी तोड़-फोड़ भी की गयी. मामले की सूचना सरायढेला पुलिस को दे कार्रवाई की मांग की गयी है.
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