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ज्वाइंट इंट्रेंस ने बिगाड़ी आइटीआइ की व्यवस्था

धनबाद: ज्वाइंट इंट्रेंस से एक बार फिर आइटीआइ संस्थानों की व्यवस्था बिगाड़ दी है. सरकारी व गैर सरकारी आइटीआइ संस्थानों में 36 हजार सीटों में 12 हजार से अधिक सीटें खाली रह गयी हैं. इसमें सरकारी आइटीआइ की 1200 सीटें भी शामिल हैं. सरकारी आइटीआइ धनबाद की भी 125 सीटें खाली रह गयी हैं. जबकि […]

धनबाद: ज्वाइंट इंट्रेंस से एक बार फिर आइटीआइ संस्थानों की व्यवस्था बिगाड़ दी है. सरकारी व गैर सरकारी आइटीआइ संस्थानों में 36 हजार सीटों में 12 हजार से अधिक सीटें खाली रह गयी हैं. इसमें सरकारी आइटीआइ की 1200 सीटें भी शामिल हैं.

सरकारी आइटीआइ धनबाद की भी 125 सीटें खाली रह गयी हैं. जबकि धनबाद में निजी आइटीआइ की कुल 5400 सीटों में 1800 सीटें खाली हैं. श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने आगे काउंसेलिंग पर रोक लगा कर इन सीटों पर नामांकन कोई संभावना भी खत्म कर दी है. इस साल से सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के कारण जनवरी में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा होनी है.

क्या है वजह : दो माह विलंब से हुए ज्वाइंट इंट्रेंस के कारण काउंसलिंग भी विलंब से शुरू हुआ. अगस्त में जहां क्लास शुरू हो जानी चाहिए थी, वहां सितंबर तक काउंसलिंग चलती रही. काउंसेलिंग की प्रतीक्षा किये बिना बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स पड़ोसी प्रांतों में जाकर नामांकन ले लिये. इधर, काउंसलिंग के स्टूडेंट्स का झुकाव पूरी तरह से सरकारी आइटीआइ की ओर था. निजी संस्थानों में गिने -चुने बड़े संस्थानों की सीटें हीं भर पायीं. वर्ष 2011 जब से आइटीआइ में नामांकन के लिए ज्वाइंट इंट्रेंस का सिस्टम लागू हुआ है, तभी से यह स्थिति है. 2011 व 2012 में भी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में आधी से अधिक सीटें खाली रह गयी थीं.

पहले से सूचना थी सेमेस्टर सिस्टम की : आइटीआइ में सेमेस्टर सिस्टम लागू होने की पूर्व घोषणा एनसीवीटी ने ज्वाइंट इंट्रेंस से पहले ही कर रखी थी. ऐसे में ज्वाइंट इंट्रेंस से पहले यह निर्णय हो जाना चाहिए था कि नामांकन की प्रक्रिया कैसे करायी जाये.

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