धनबाद. दीपावली का पांचवां व अंतिम पर्व है-भाई दूज (भातृ द्वितीया) इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं. दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाये जानेवाले इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है. जैसे पश्चिम बंगाल में भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, गुजरात में भाई बीज और पंजाब में टिक्का आदि.
भैया दूज की कथा
भगवान सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं. पुत्र-यमराज और पुत्री-यमुना. संज्ञा अपने पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को सहन नहीं कर सकने के कारण अपनी ही प्रतिकृति छाया बनाकर तपस्या करने चली गयीं. छाया सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा बनकर रहने लगी. इसी से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ. इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों का भी जन्म हुआ है, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं.
छाया का यम तथा यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया. इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसायी. यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक चली गयी. समय व्यतीत होता रहा. तब काफी सालों के बाद अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आयी. यम ने अपने दूतों को यमुना का पता लगाने के लिए भेजा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली. फिर यम स्वयं गोलोक गये, जहां यमुनाजी की उनसे भेंट हुई. इतने दिनों बाद यमुना अपने भाई से मिलकर बहुत प्रसन्न हुई. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती. वह उनसे बराबर निवेदन करतीं कि वह उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात टाल जाते थे. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया. यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. भाई को देखते ही यमुना ने हर्षविभोर होकर भाई का स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन करवाया. इससे भाई यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. तब यमुना ने वर मांगा कि ‘‘हे भैया, मैं चाहती हूं कि जो भी मेरे जल में स्नान करे, वह यमपुरी नहीं जाये.
यह सुनकर यम चिंतित हो उठे और मन-ही-मन विचार करने लगे कि ऐसे वरदान से तो यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा. भाई को चिंतित देख, बहन बोली-‘‘भैया आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि ‘‘आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे.’’ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को वरदान दे दिया तथा यमुना को अमूल्य वस्त्रभूषण देकर यमपुरी लौट गये. तब से बहन-भाई मिलन के इस पर्व को भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है.
क्या-क्या करें
यमुनाजी ने भाई यमराज को तिलक लगाकर करके भोजन कराया था. इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं. माना जाता है इस दिन भाई के मस्तक पर टीका लगाने से भाई यमराज के कष्ट से बच जाता है. भाइयों को तेल मलकर बहनें यमुना में स्नान भी कराती हैं. यदि यमुना में नहीं नहाया जा सके, तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए.
इस दिन बहनें भाइयों को चावल खिलायें. बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है. बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है. कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान कर भोजन करना भी शुभ माना जाता है.
इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है. गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां मूसलों से तोड़ती हैं.
इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं. उसके ऊपर सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कुछ मंत्री बोलती हैं-जैसे ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े.’ इसी प्रकार कहीं इस मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है-‘सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे.’ इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जायेंगे.
कहीं-कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं. भाई का मुंह मीठा कराती है. संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं. इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है. मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं, उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है. चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनायेगा.
गुलजार रहा गिफ्ट का बाजार
भैया दूज को लेकर गुरुवार को बाजार गुलजार रहा. भाइयों ने अपनी बहनों के लिए व बहनों ने भाइयों के लिए गिफ्ट खरीदे. विभिन्न कंपनियों ने गिफ्ट पैक बाजार में उतारा है. ऑब्लाइज के संचालक सुरेंद्र अरोड़ा ने बताया कि आरची कंपनी की ब्यॉज, गर्ल्स, अक्सर, घोष्ट आदि कई ब्रांड के परफ्यूम बाजार में उपलब्ध है. इसी तरह बहनों के लिए स्टोन ब्रासलेट, गले का सेट, रिस्ट्स वाच, टेडी वियर के एक से बढ़कर एक कलेक्शन बाजार में उपलब्ध हैं. सॉफ्ट टॉय व शो पीस का एक से बढ़कर एक कलेक्शन है. टीन एजर्स के लिए साइड पर्स, हैंड पर्स की अच्छी रेंज बाजार में है. कोटेशन के साथ भैया दूज ग्रिटिंग्स कार्ड भी बाजार में उपलब्ध है. मुंबई-दिल्ली से गिफ्ट पैक मंगाया गया है.