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टुंडी व तोपचांची में मलेरिया ने फिर पांव पसारा

धनबाद: टुंडी व तोपचांची के कई गांवों में लोग बुखार से तप रहे हैं. यहां पहाड़ से सटे लगभग दर्जनों गांवों के हर घर में लोग बीमार हैं. इससे खासकर बच्चे पीड़ित हैं. स्थानीय लोग इसे मलेरिया बता रहे हैं. सबसे खराब स्थिति टुंडी के खरियोटांड़ की है. लगभग घर हर में बच्चे तेज बुखार […]

धनबाद: टुंडी व तोपचांची के कई गांवों में लोग बुखार से तप रहे हैं. यहां पहाड़ से सटे लगभग दर्जनों गांवों के हर घर में लोग बीमार हैं. इससे खासकर बच्चे पीड़ित हैं. स्थानीय लोग इसे मलेरिया बता रहे हैं. सबसे खराब स्थिति टुंडी के खरियोटांड़ की है. लगभग घर हर में बच्चे तेज बुखार व बदन दर्द से पीड़ित हैं.

खरियोटांड़ में एक माह के दौरान बीमारी से दो बच्चों की मौत भी हो गयी है. मौत की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली. गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में जाकर जांच की और सैंपल कलेक्ट किया है. पिछले शुक्रवार को मलेरिया से पीड़ित टुंडी के पांच लोगों को पीएमसीएच में भरती कराया गया था. स्थानीय लोगों की मानें तो गांव में स्वास्थ्य सेवा नदारद हैं. छोलाछाप डॉक्टरों के सहारे ही हजारों की आबादी है. इसी तरह से तोपचांची के कई इलाकों में भी लोग बुखार की चपेट में हैं.

पीएमसीएच को किया गया अलर्ट
टुंडी-तोपचांची में मलेरिया के बढ़ते मामले को लेकर जिला मलेरिया पदाधिकारी डाॅ. जीसी वर्मा ने पीएमसीएच को अलर्ट पर रहने को कहा है. डाॅ. वर्मा ने कहा कि टुंडी के स्वास्थ्य केंद्रों के साथ पीएमसीएच में दवाइयाें की कमी नहीं है. चिकित्सकों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है. वहां अस्पताल में जांच की सभी सुविधाएं मौजूद है. बीपीएल परिवार के लिए एसआरएल जांच केेंद्र में नि:शुल्क सेवा है.

मौसम में परिवर्तन भी कारण: जून को मलेरिया रोधी माह कहा जाता है. इसके साथ नवंबर में मौसम परिवर्तन के कारण भी तेजी से लोग मलेरिया के चपेट में आते हैं.

बीमार हो रहे लोग, विभाग बना रहा बहाना
ग्रामीण इलाकों में लोग बीमार हो रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग हमेशा बहाने ही बनाता रहा है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन इलाकों में घर-घर जाकर सैंपल लिया जा रहा है. कहीं भी दवाइयों की कमी नहीं है. गांवों में डीटीटी का छिड़काव कराया जा रहा है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर व कर्मचारी बैठ रहे हैं, लेकिन स्थिति इससे उलट हैं.

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