धनबाद: वह धनबाद कोयलांचल के चिकित्सा जगत का युवा चेहरा हैं. सौम्य स्वभाव और चेहरे पर हमेशा शांति भरी मुस्कान. आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्तित्व. बात हो रही है 33 वर्षीय डॉक्टर रोहित कुमार की. स्कूल के दिनों से पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहनेवाले डॉक्टर रोहित वर्तमान में धनबाद जिले के एकमात्र और पूरे झारखंड राज्य के 15 यूरोलॉजिस्टों में शामिल हैं.
रोहित से डॉक्टर रोहित बनने के पीछे बीमार मां के लिए एक बेटे का कचोटता भावुक मन और धनबाद की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था रही है. स्कूल के दिनों में इंजीनियरिंग करने का लक्ष्य रखनेवाले रोहित ने 16 वर्ष की उम्र में अचानक चिकित्सक और वह भी यूरोलॉजिस्ट बनने का संकल्प लिया. फिर मजबूत इच्छाशक्ति और जी तोड़ मेहनत से अपने संकल्प को पूरा किया.
जन्मभूमि को कर्मभूमि बनाने का फैसला : धनबाद के इकलौते यूरोलॉजिस्ट होने के साथ-साथ डॉक्टर रोहित की जो खासियत उन्हें भीड़ से अलग करती है, वह है नयी दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के आकर्षक वेतन पैकेज की नौकरी छोड़कर वापस धनबाद लौटना और जन्मभूमि धनबाद को ही कर्मभूमि बनाने का फैसला करना. प्रभात खबर से बातचीत में डॉ रोहित कहते हैं ‘‘धनबाद में चिकित्सा के क्षेत्र में अभी काफी काम होने हैं. हर नागरिक का हक है कि उसे बेहतर चिकित्सा सेवा मिले, लेकिन ऐसा धनबाद में नहीं हो रहा. धनबाद को 80 के दशक में जो चिकित्सा सेवा मिलनी चाहिए थी, वह आज तक नसीब नहीं हुई है.’’ डॉक्टर रोहित कहते हैं. धनबाद की चिकित्सा व्यवस्था में मौजूद कमी को दूर करने की दिशा में काफी कुछ करने की योजना हैं. आगे बहुत कुछ करना है.
मां को तड़पा देख, ठाना यूरोलॉजिस्ट ही बनूंगा
डॉक्टर रोहित का 18 साल पुराना अतीत डरावना होने के साथ प्रेरक भी है. मार्च, 1997 का महीना था. धनबाद शहर के कार्मिक नगर स्थित डॉक्टर रोहित के घर में कोहराम का माहौल बना हुआ था. परिवार के सदस्यों से लेकर रिश्तेदारों का आना-जाना लगा था. हर कोई डॉ. रोहित की मां (डॉक्टर वेणू चौधरी) को लेकर परेशान था. सेंट्रल अस्पताल में इलाजरत मां की जिंदगी का संघर्ष मौत के साथ लगातार तेज होता जा रहा था. पिता (डॉक्टर एसके चौरसिया) की बेचैनी व परेशानी तब और बढ़ गयी, जब सेंट्रल हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिये. डॉक्टर रोहित की मां के गॉल ब्लाडर में पथरी का ऑपरेशन हुआ था. इसके बाद पेट से लेकर यूरिनल तक इंफेक्शन हो गया और धनबाद में यूरोलॉजी का कोई डॉक्टर नहीं था. पूरा घटनाक्रम 16 वर्षीय रोहित को झकझोर कर रख देनेवाला रहा. बार-बार आंखें डबडबा जाती थी. मन में एक ही सवाल था कि ऐसा कोई भी चिकित्सक धनबाद में क्यों नहीं हैं, जो मेरी मां का इलाज कर सके. मां की जिंदगी तो बच गयी, मगर उस डरावने दौर ने 16 वर्षीय रोहित के मन में यह संकल्प पैदा करने का काम किया कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद यूरोलॉजिस्ट बनेंगे.
जानें यूरोलॉजी को : यूरोलॉजी (मूत्र रोग विज्ञान) आयुर्विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा है. महिला व पुरुष दोनों में होने वाली यह बीमारी मेडिकल के साथ सर्जिकल डिजीज है. मुख्य रूप से पुरुषों के प्रजनन अंगों को बाधित करता है. यूरोलॉजी के अंतर्गत किडनी, एडरेनल ग्लैंड, यूटेरस, यूरिनल ब्लाडर, यूरेथ्रा अंग आते हैं. पुरुषों में टेस्टेट, इपीडीडाइमिस, वास डेफेरेंस, सेमिनल वेसिलेस, प्रोस्टेट व पेनिस प्रभावित होते हैं.
यूरोलॉजी से संबंधित क्या-क्या बीमारी?
डॉक्टर रोहित कुमार : मनुष्यों में जन्म से समय मूत्र जनन तंत्र में असंगतियां विद्यमान है. इसमें लगभग 35 से 40 प्रतिशत विकासात्मक त्रुटियां होती है. मूत्र के संक्रमण में सबसे सामान्य मूत्र रोग हैं. यह जीवाणुओं द्वारा होता है. मूत्र का अवरोध इसके लिए सबसे बड़ा कारक है. मूत्र की प्रमुख समस्याओं में से 90 प्रतिशत भाग संयुक्त रूप से संक्रमण तथा अवरोध का होता है. ये समस्याएं तीन प्रकार की होती है. पहला नन टूबरक्लॉस, दूसरा टूबरक्लॉस व तीसरा असामान्य. कभी इंज्यूरी होने पर भी मूत्र से संबंधित अंग प्रभावित होते हैं. गॉल ब्लाडर व यूरिनल नली में स्टोन का ऑपरेशन कई चिकित्सक तो कर देते हैं, लेकिन कॉम्प्लीकेशन होने के बाद मामले खराब होने लगते हैं. वजह कई महत्वपूर्ण जानकारी उन्हें नहीं होती है.
कोयलांचल में क्या है स्थिति?
डॉक्टर रोहित कुमार : खान-पान, दिनचर्या में बदलाव व जागरुकता की कमी के कारण मूत्र रोग से संबंधित बीमारियां कोयलांचल में बढ़ी हैं. महिलाओं की बात करें तो 60-70 प्रतिशत महिलाएं इसके संक्रमण से ग्रसित हैं. जंक फूड बढ़ने व श्रम करने की आदत कम होने से भी मरीज बढ़ रहे हैं. पुरुषों में बुजुर्ग ही नहीं, बड़े व बच्चों में यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त पाये जा रहे हैं. यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारियां जहां बच्चे में शारीरिक विकास नहीं होने के कारण, वहीं बुजुर्गो में ओल्ड एज के कारण होती हैं.
सबसे ज्यादा संक्रमण किसे?
डॉक्टर रोहित कुमार : मूत्र पथ में संक्रमण पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है. आधी महिलाओं को कम से कम एक बार जरूर होता है. यह शरीर की बनावट, शारीरिक संबंध व पारिवारिक इतिहास के कारण होता है. धनबाद में काफी संख्या में महिलाएं इसकी शिकार हैं. सामान्य तौर पहले शुरुआती दौर में महिलाएं इसे नहीं बताती हैं. बाद में इंफेक्शन जटिल होता जाता है.
इनसे बचने के क्या उपाय हो सकते हैं?
डॉक्टर रोहित कुमार : जंक फूड, दूषित पानी का सेवन नहीं करें. मांसाहारी खानों से दूर रहने की कोशिश करें. खाने में हरी साग-सब्जियां की मात्र बढ़ायें. व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. घर व शरीर की सफाई का विशेष ख्याल रखें.