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बीमार महिला के कातिल पति और मौलवी को उम्रकैद
रेलकर्मी की हत्या में पत्नी व दो साले को आजीवन कारावास धनबाद : अपर जिला व सत्र न्यायाधीश नवम अभय कुमार सिन्हा की अदालत ने सोमवार को हत्या कर लाश छुपाने के मामले में हरिहरपुर थाना क्षेत्र के कल्याणपुर निवासी पति कुरबान अंसारी को भादवि की धारा 302 व 201 में और मौलवी रहबर सौदागर […]
रेलकर्मी की हत्या में पत्नी व दो साले को आजीवन कारावास
धनबाद : अपर जिला व सत्र न्यायाधीश नवम अभय कुमार सिन्हा की अदालत ने सोमवार को हत्या कर लाश छुपाने के मामले में हरिहरपुर थाना क्षेत्र के कल्याणपुर निवासी पति कुरबान अंसारी को भादवि की धारा 302 व 201 में और मौलवी रहबर सौदागर उर्फ रहुआ को भादवि की धारा 114 सह पठित 302 में दोषी पाकर उम्र कैद व पांच पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.
जुर्माना राशि अदा न करने पर एक माह अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी होगी. अदालत ने आठ जुलाई 15 को आरोपियों को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था. वहीं दो अन्य आरोपी कुरबान के पिता अब्बास अंसारी व मां मैमुन निशा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. फैसले के वक्त एपीपी अनिल कुमार सिंह अदालत में मौजूद थे.
क्या है मामला : हरिहरपुर थाना क्षेत्र की यह घटना नौ मई 13 को कल्याणपुर में घटी थी. कुरबान अंसारी की पत्नी रैबून खातून की तबीयत खराब थी. उसके पति, सास, ससुर ने सोचा कि उसे भूत ने पकड़ लिया है. कुरबान अपनी पत्नी को मौलवी रहबर सौदगर के पास ले गया.
मौलवी ने कुरबान से कहा कि तुम्हारी पत्नी पर भूत का साया है. तुम अपनी पत्नी को मार कर हटा दोगे तो तुम सुखी हो जाओगे. इसी बात पर कुरबान ने अपनी पत्नी को बांस से मार कर हत्या कर दी. गांव वालों की जब इसकी जानकारी हुई तो वे मौलवी को पकड़ने के लिए चले तो मौलवी भाग गया. जबकि तीन आरोपी पकड़े गये. इस मामले की जांच का भार पुलिस की विशेष शाखा को सौंपी गयी.
विशेष पुलिस पदाधिकारी शेख मुस्तकीम की शिकायत पर 16 मई 13 को हरिहरपुर थाना में कांड संख्या 31/13 दर्ज किया गया. केस के आइओ ने 13 अगस्त 13 को चारों आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर किया. अदालत ने 26 सितंबर 13 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया. केस विचारण के दौरान अदालत ने 18 गवाहों का बयान दर्ज किया. अभियोजन की ओर से एपीपी अनिल कुमार सिंह ने आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाबी पायी. यह मामला एसटी केस नंबर 517/13 से संबंधित है.
रेलकर्मी नारायण मुमरू हत्याकांड में सोमवार को एडीजे सप्तम सत्य प्रकाश की अदालत ने निरसा के एलाकेंद बांधडीह टोला निवासी जेल में बंद पत्नी हल्दी मुमरू , साला निर्मल मरांडी व देवन हेंब्रम को भादवि की धारा 302 में दोषी पाकर उम्रकैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. अदालत ने आरोपियों को 8 जुलाई 15 को भादवि की धारा 302 में दोषी पाकर जेल भेज दिया था. फैसला सुनाये जाने के वक्त अदालत में एपीपी धनंजय सिंह मौजूद थे.
क्या है मामला : नारायण मुमरू आसनसोल रेल में कार्यरत था. उसकी पत्नी हल्दी मुमरू अपने भाई निर्मल मरांडी को नौकरी देने के लिए प्राय: उससे झगड़ा करते रहती थी. 19 मार्च 07 को पत्नी हल्दी मुमरू ने अपने भाई निर्मल मरांडी व देवन हेंब्रम के साथ मिल कर लाठी से अपने पति के सिर पर मारा.
घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. घटना के बाद छोटे लाल किस्कू ने निरसा थाना में कांड संख्या 72/07 दर्ज कराया. अभियोजन की ओर से एपीपी श्री सिंह ने सूचक समेत 12 गवाहों का परीक्षण कराया. जिसमें से 11 गवाहों ने घटना की पुष्टि नहीं की. लेकिन मृतक की छह वर्षीय पुत्री मुन्नी मुमरू के अदालत में दिये गये बयान के आधार पर आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी. यह मामला एसटी केस नंबर 346/07 से संबंधित है.
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