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बाढ़ पर काबू के लिए बना था पंचेत डैम

निरसा/पंचेत: पंचेत व आसपास के लोगों के लिए छह अक्तूबर को ऐतिहासिक दिन है. इसी दिन 1959 में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा पंचेत में स्थापित पनबिजली केंद्र व डैम का उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य दामोदर नदी में बाढ़ से हो रही तबाही […]

निरसा/पंचेत: पंचेत व आसपास के लोगों के लिए छह अक्तूबर को ऐतिहासिक दिन है. इसी दिन 1959 में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा पंचेत में स्थापित पनबिजली केंद्र व डैम का उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था.

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य दामोदर नदी में बाढ़ से हो रही तबाही को रोकना था. दामोदर को इससे पूर्व बंगाल का शोक कहा जाता था. बरसात के समय विनाशकारी बाढ़ से बंगाल में भारी तबाही मचती थी. इससे अरबों का नुकसान सरकार को उठाना पड़ता था. देश की पहली बहुउद्देश्यीय योजना के तहत दामोदर घाटी निगम का गठन स्वतंत्रता के बाद हुआ. तब पंचेत में दामोदर को बांधने की योजना बनायी गयी. परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ पर काबू पाना था.

लेकिन आर्थिक उपाजर्न के लिए पनबिजली केंद्र भी लगाया. इसकी वर्तमान क्षमता 80 मेगावाट है. परियोजना के निर्माण के बाद आसपास के क्षेत्र का विकास हुआ. साथ ही बाढ़ से लोगों को राहत मिली. परंतु वर्तमान में पंचेत परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. टीएससी विभाग के चार विभिन्न कार्यालयों को यहां से स्थानांतरित करने का प्रयास चल रहा है. इसका विरोध स्थानीय सांसद, विधायक व नागरिक कर रहे हैं.

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