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पूर्व सीजीएम ने किया सरेंडर, गये जेल
धनबाद: कोयला ओवर रिपोर्टिग के मामले में आरोपित बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक राम उजागर पांडेय ने बुधवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रथम अरुण कुमार राय की अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत अर्जी दायर की. अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. सीबीआइ की ओर […]
धनबाद: कोयला ओवर रिपोर्टिग के मामले में आरोपित बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक राम उजागर पांडेय ने बुधवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रथम अरुण कुमार राय की अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत अर्जी दायर की. अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. सीबीआइ की ओर से वरीय लोक अभियोजक कपिल मुंडा ने जमानत का जोरदार विरोध किया.
क्या है मामला : बस्ताकोला क्षेत्र के कुइयां ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट में 22 अगस्त 11 से 24 अगस्त 11 के बीच बीसीसीएल के विजिलेंस विभाग ने कोयले की स्टॉक की मापी की थी. जिसमें बुक स्टॉक में 5, 21,684 मिट्रिक टन की जगह 96,813 मिट्रिक टन कोयला पाया गया. जिससे कंपनी को 48 करोड़ 86 लाख 1 हजार 650 रुपये का नुकसान हुआ. सीबीआइ ने इस मामले की जांच शुरू की. बस्ताकोला के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक राम उजागर पांडेय व कुइयां कोलियरी के पूर्व प्रोजेक्ट ऑफिसर किशोर यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. आरोपी सीबीआइ के भय से भागते रहे. सीबीआइ के आग्रह पर अदालत ने पूर्व मुख्य महाप्रबंधक आरयू पांडेय के खिलाफ दप्रसं की धारा 83 के तहत संपति कुर्क करने का आदेश दिया. झारखंड उच्च न्यायालय ने 23 मार्च 15 को आरोपी की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. उक्त आदेश के खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी 2061/15 दायर की थी. वह भी खारिज हो गयी.
बार के गवर्निग काउंसिल से इस्तीफा : धनबाद बार के कार्यकलाप से क्षुब्ध होकर गवर्निग काउंसिल मेंबर प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.बुधवार को उन्होंने धनबाद बार के अध्यक्ष कंसारी मंडल को एक पत्र भेजकर अपना रोष व्यक्त किया.
फर्जीवाड़ा में तीन को तीन-तीन साल कैद
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश दशम एसएस दुबे की अदालत ने बुधवार को फर्जीवाड़ा के एक मामले में आरोपी केदार प्रसाद, चंद्रमणि सिंह व नरेश प्रसाद को भादवि की धारा 420, 468, 471 में तीन-तीन साल की कैद व तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना, वहीं पीसी एक्ट की धारा 5(2) सहपठित 5(1)(डी) में दोषी पाकर दो साल की कैद व दो हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. बाद में अदालत ने ऊपरी अदालत में अपील के लिए अंशकालिक जमानत दे दी. फैसले के वक्त सीबीआइ के लोक अभियोजक अदालत में मौजूद थे. बोकारो स्टील प्लांट में वर्ष 1986-88 की अवधि में पांच कर्मचारियों के नाम से एलटीसी व एलएलटीसी का फर्जी बिल बनाकर 24 हजार 8 सौ 78 रुपये प्रति कर्मचारी का भुगतान कर स्टील ऑथरिटी को नुकसान पहुंचाया गया. इस मामले में सीबीआइ ने जांच शुरू की. सीबीआइ इंस्पेक्टर एके साहा ने आरोपियों के खिलाफ 31 अगस्त 1988 को प्राथमिकी दर्ज करायी. इस केस के आइओ ने 30 दिसंबर 88 को आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया. अदालत ने 22 मार्च 92 को आरोपियों के विरुद्ध आरोप गठित किया. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के लोक अभियोजक ने पचीस गवाहों का परीक्षण कराया. यह मामला आरसी केस नंबर 10ए/88 डी से संबंधित है.
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