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अफसर आयें तो बंधक बना लें : बाबूलाल

धनबाद: पूर्व मुख्यमंत्री-सह-झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि धनबाद व आसपास के इलाकों में जमीन अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा हुआ है. जमीन का मुआवजा अफसरों की मिलीभगत से बिचौलियों ने हड़प लिया है. जमीन के असली मालिक दर-दर भटक रहे हैं. वह शनिवार को धोखरा में पार्टी के विस्थापित […]

धनबाद: पूर्व मुख्यमंत्री-सह-झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि धनबाद व आसपास के इलाकों में जमीन अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा हुआ है. जमीन का मुआवजा अफसरों की मिलीभगत से बिचौलियों ने हड़प लिया है. जमीन के असली मालिक दर-दर भटक रहे हैं.

वह शनिवार को धोखरा में पार्टी के विस्थापित पुनर्वास मोरचा की ओर से 11 सूत्री मांगों को लेकर आयोजित दो दिवसीय विस्थापित महापंचायत के दौरान पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण के नाम पर लोगों को उजड़ने नहीं दिया जायेगा. ग्रामीण एकजुट होकर अपनी जमीन पर डटे रहें. अफसर जमीन पर जमीन कब्जा करने आते हैं तो उन्हें बंधक बना लें. ग्रामीण लाठी-गोली खाने को तैयार रहें. वह भी गांव वालों के साथ जेल जाने को तैयार हैं.

बिचौलियों-अफसरों पर हो कानूनी कार्रवाई : झाविमो सुप्रीमो ने कहा कि जमीन अधिग्रहण व मुआवजा में अरबों का घोटाला हुआ है. जेआरडीए , रिंग रोड व आइएसएम विस्तारीकरण के नाम पर जमीन अधिग्रहीत की जा रही है. इसमें भारी अनियमितता है. मुआवजा दरों में एकरूपता नहीं है. जमीन मालिकों का करोड़ों रुपये मुआवजा बिचौलियों ने हड़प लिया है. प्रशासनिक जांच में भी अनियमितता की पुष्टि हुई है. उन्होंने मांग की कि सरकार असली जमीन मालिकों को उचित मुआवजा दिलवाये. बिचौलियों व सरकारी अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो. सरकारी अफसर, जो घोटाले में संलिप्त हैं, उन्हें बरखास्त किया जाये. मौके पर रमेश कुमार राही, ज्ञानरंजन सिन्हा समेत पार्टी अन्य नेता मौजूद थे. बाबूलाल प्रदीप समेत अन्य नेता रात्रि विश्रम भी धोखरा में ही करेंगे. विस्थापितों से बातचीत कर झाविमो नेता उनकी समस्या सुन रहे हैं. दोपहर को जेवीएम विधायक प्रदीप यादव भी महापंचायत में शामिल हुए.
खाली खदानों को समतल कर नयी झरिया बसायें
गांववालों को उजाड़ कर व कृषि योग्य भूमि अधिग्रहीत कर दूसरी जगह से लोगों को बसाने की योजना गलत है. एक को उजाड़ कर दूसरे को बसाना उचित नहीं है. झरिया से कोयला निकालने के लिए वहां के लोगों को हटा कर निपनिया समेत अन्य जगहों पर बसाया जा रहा है. जेआरडीए निपनिया में 182 एकड़ जमीन अधिग्रहीत कर रहा है. यह कृषि योग्य जमीन है. सरकार व प्रशासन ग्रामीणों की नहीं सुन रहे हैं. लोगों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. नयी झरिया बसाने के लिए गांव वालों को उजाड़ा जा रहा है. जमीन अधिग्रहण कर कोई उजाड़ने आता है तो एकजुट होकर ग्रामीण विरोध करें. अपनी जमीन नहीं छोड़ें. झरिया व आसपास में उत्खनन कर खाली पड़ी खदानों को समतल कर वहां नयी झरिया बसायी जा सकती है. जेआरडीए ग्रामीणों को उजाड़ने के लिए बना है. जेआरडीए का कोई औचित्य नहीं है, इसे भंग किया जाना चाहिए.

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