धनबादः हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जो आम आदमी के लिए हो. विशेष तौर पर गरीब तबके को इसका लाभ मिले. आज के इंजीनियर्स के समक्ष यह एक बड़ी चुनौती है. बीसीसीएल के डीटी डीसी झा ने इंजीनियर्स डे पर यह आह्वान किया. कल्याण भवन में डॉ मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया को याद करते हुए उन्होंने कहा- वे हमेशा आम लोगों की बेहतरी के बारे में सोचते थे. 1894 में उन्होंने तत्कालीन सिंध प्रांत की वाटर सप्लाई व ड्रेनेज सिस्टम का खाका तैयार किया था. वह इसी की एक कड़ी थी. आयोजन इंस्टीटय़ूशन ऑफ इंजीनियर्स धनबाद लोकल सेंटर ने किया था.
निर्माण के आर्थिक पहलू पर भी सोचते थे : डॉ विश्वेश्वरैया निर्माण में दक्षता ही नहीं आर्थिक पहलू के बारे में भी सोचते थे. उन्होंने अपने आप को एक काबिल इंजीनियर के तौर पर साबित भी किया. उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि अपना काम कम से कम समय में पूरा कर लेते थे. 1881-83 के दौरान भारतीय सिंचाई कमीशन के आमंत्रण पर उन्होंने पूरे देश का दौरा किया. सरकार को कई महत्वपूर्ण सलाह भी दी. उनकी सलाह पर ही देश में सिंचाई योजनाओं को धरातल पर उतारने में कामयाबी मिली.
ऑटोमेटिक फ्लड गेट का खाका तैयार किया : डॉ विश्वेश्वरैया ने ही बाढ़ नियंत्रण के लिए ऑटोमेटिक फ्लड गेट का खाका तैयार किया. पहली बार 1903 में पूना के खड़गवाशिया रिजरवॉयर में इसे लगाया गया. इनका मुख्य उद्देश्य बाढ़ के दौरान उठने वाली ऊंची लहरों को काबू करना था ताकि डैम को इससे नुकसान न हो. बाद में इस पैटर्न को कई अन्य जगहों पर भी इस्तेमाल किया गया. मैसूर का कृष्ण राज सागर व ग्वालियर के टिगरा डैम में उनका अहम योगदान रहा है.
इन्होंने भी संबोधित किया : अमर नाथ सचिव ( आइ इ आइ), प्रमोद कुमार, प्रो. एनसी सक्सेना,बीके सामंता, इमित्याज अहमद, एस दासगुप्ता (जीएम एचआरडी), एचएन कर्मकार, डीएनपी सिंह, बीके सामंता.