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पांच साल में निगम को नहीं मिली कचरा डंप करने की जगह

धनबाद: नगर निगम बनने के बाद भी गंदगी की समस्या का हल नहीं हो सका. शहरवासी नरक में जीने को विवश हैं. पिछले चुनाव में यह मसला उठा था, मगर इन पांच सालों में नगर निगम को कचरा डंप करने की जगह तक नहीं मिली. आज भी जहां-तहां कचरा फेंका जाता है. कचरा डंपिंग स्टेशन […]

धनबाद: नगर निगम बनने के बाद भी गंदगी की समस्या का हल नहीं हो सका. शहरवासी नरक में जीने को विवश हैं. पिछले चुनाव में यह मसला उठा था, मगर इन पांच सालों में नगर निगम को कचरा डंप करने की जगह तक नहीं मिली. आज भी जहां-तहां कचरा फेंका जाता है.

कचरा डंपिंग स्टेशन को लेकर बीसीसीएल व निगम से पांच साल तक वार्ता होती रही है, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली. निगम की मानें तो शहर में हर दिन लगभग 300 टन कचरा जेनेरेट होता है. लेकिन उठता है मात्र 150-200 टन. यानी प्रत्येक दिन 100 टन कचरा डंप हो रहा है. सप्ताह में 700 टन और माह में 3000 टन कचरा डंप होता है. निगम के पास 68 ट्रैक्टर है. बावजूद कचरा उठाने के लिए मात्र 15 ट्रैक्टर को ही लगाया जाता है.

कचरा उठाने मुहल्ले में बजने लगी सिटी
चुनाव आया तो निगम की नींद खुली. दो दिनों से वार्ड नंबर 29 में प्रतिदिन सफाई वाले सिटी बजाकर कचरा उठा रहे हैं. सिटी बजा कर लोगों से ट्रैक्टर में कचरा डालने की आवाज लगाते हैं. निगम की नयी व्यवस्था से लोग खुश हैं लेकिन यह व्यवस्था कब तक चलती है. यह तो समय ही बतायेगा.
नहीं लगा कचरा डिस्पोजल प्लांट : 24 करोड़ की लागत से कचरा डिस्पोजल के लिए प्लांट बैठाने की योजना थी. लेकिन जमीन विवाद के कारण यह मामला भी लटका हुआ है. ए टू जेड के साथ एग्रीमेंट में प्लांट लगाने का जिक्र था. लेकिन बीसीसीएल से एनओसी नहीं मिलने के कारण ए टू जेड बीच में ही काम छोड़ कर चला गया. आज भी जहां-तहां कचरा फेंका जा रहा है.
कमीशन के चक्कर में खरीदे 55 ट्रैक्टर
सिटी बस की तरह नगर निगम के ट्रैक्टर भी खड़े-खड़े सड़ रहे हैं. नगर विकास सचिव के आदेश की आड़ में आनन-फानन में 55 ट्रैक्टर खरीद लिये गये, लेकिन इसका उपयोग कैसे किया जाये, इसका कोई खाका तैयार नहीं किया गया. जबकि पहले से ही निगम के पास 13 ट्रैक्टर हैं. पूरे निगम क्षेत्र में 30 ट्रैक्टर ही सफाई में लगाये जा रहे हैं. इसमें शहर में 12-15 ट्रैक्टर लगाये गये हैं. लिहाजा 30-35 ट्रैक्टर हीरापुर डंपिंग यार्ड में खड़े रहते हैं. 55 ट्रैक्टर के अलावा 218 दैनिक मजदूर व 42 ड्राइवर को भी आउटसोर्स किया गया है. बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था नहीं सुधरी.

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