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विवि कमेटी ने की बीएसएस कॉलेज के दो मामलों की जांच

धनबाद . बीएसएस महिला कॉलेज की पूर्व शासी निकाय ने मनमानी के तहत कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. जीएन मिश्र का निष्कासन किया है. कॉलेज में घंटों जांच पड़ताल के बाद विवि की तीन सदस्यीय जांच कमेटी इस निर्णय पर पहुंची. कमेटी के काफी मंथन के बाद यह बात भी सामने आयी कि कुछ […]

धनबाद . बीएसएस महिला कॉलेज की पूर्व शासी निकाय ने मनमानी के तहत कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. जीएन मिश्र का निष्कासन किया है. कॉलेज में घंटों जांच पड़ताल के बाद विवि की तीन सदस्यीय जांच कमेटी इस निर्णय पर पहुंची. कमेटी के काफी मंथन के बाद यह बात भी सामने आयी कि कुछ माह पहले भौतिकी के प्रो. बीबी शर्मा व उनकी पत्नी जुलॉजी की प्रो. संगीता कुमारी का निलंबन भी गलत हुआ है.

तीनों मामले की रिपोर्ट जांच कमेटी जल्द विवि को भेजी जायेगी. लोक आयुक्त की पहल पर विवि इस मामले की जांच करा रही है. जांच कमेटी में एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य डॉ मीना श्रीवास्तव, पीके राय कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एनके अंबष्ठा तथा आरएसपी कॉलेज झरिया के प्रभारी प्राचार्य प्रो. जेएम लुगून शामिल थे.

जांच पड़ताल के बाद बातचीत में जांच कमेटी के सदस्यों ने बताया कि तीनों शिक्षकों के खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई हुई है. दंड का कोई तर्क संगत आधार नहीं मिला है. कागजी कार्रवाई भी सही नहीं है. प्रभारी प्राचार्य भी कार्रवाई पर कुछ स्पष्ट बात नहीं रख सकी. रिपोर्ट शीघ्र विवि को भेज दी जायेगी. नयी नियुक्ति के मामले में भी जांच कमेटी ने भारी गड़बड़ पायी. समझा जाता है कि कमेटी की जांच रिपोर्ट कई अन्य मामलों की टिप्पणी के साथ विवि जायेगी.

जांच पड़ताल में क्या सामने आया
शिकायत कर्ता से सभी पीड़ित शिक्षकों की उपस्थिति में प्रभारी प्राचार्य डॉ करुणा के समक्ष जांच कमेटी के सदस्यों ने घंटों पूछताछ की.
तीनों शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर शासी निकाय द्वारा दंडित किये जाने तक के पूरे विवरण सहित इनके खिलाफ कॉलेज में हुई जांच कमेटी की रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी ली गयी. इससे संबंधित कागजात की छाया प्रति ली गयी. शासी निकाय के सजायाफ्ता सचिव व डोनर के खिलाफ हुए जजमेंट की कॉपी की छाया प्रति ली गयी.
शिक्षकों के खिलाफ गलत तरीके से हुई दंडात्मक कार्रवाई पर प्रभारी प्राचार्य के मूकदर्शक रवैये के लिए उनकी खिंचाई की गयी.
जांच के दौरान कई कागजात प्रस्तुत नहीं किये जाने पर कमेटी के सदस्य नाराज हुए. सदस्यों ने सवाल उठाया कि कई माह पूर्व ही जब पूर्व शासी निकाय भंग हो चुका है, तो जांच के कागजात पुराने अधिकारियों के पास क्यों पड़े हैं?

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