धनबाद: डीसी ने कहा कि री-एडमिशन पर क्या कहना है? इस पर स्कूल प्रिंसिपलों ने कहा किसी स्कूल में री-एडमिशन फीस नहीं ली जाती. साल में वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क व परीक्षा के लिए शुल्क लिये जाते हैं. इसके बाद डीसी ने मान लिया कि री-एडमिशन फीस नहीं ली जाती और ऐसी ही रिपोर्ट सरकार को भेजने की बात कही.
कहा कि यहां कोई मीडियाकर्मी नहीं हैं. आपलोगों ने देखा कि चारों ओर री-एडमिशन का हंगामा मचा हुआ है, लेकिन हमने कोई बयान नहीं दिया. इससे पहले डीसी कहा कि एक मामला कैपिटेशन फी का है, जिस कारण हंगामा मचा हुआ है. यह नजारा था गुरुवार को डीसी कृपा नंद झा की अध्यक्षता में आयोजित आरटीइ के अनुपालन की समीक्षा बैठक का. इस दौरान सभी स्कूलों के प्रिंसिपल गदगद थे. डीसी ने कहा संसद या विधानसभा से जो भी कानून पास होते हैं, उसका आदर व अनुपालन होना चाहिए. इसके लिए फोर्स करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. सभी इसका अनुपालन करें. बैठक में कई एजेंडे पर चर्चा हुई. बैठक में डीइओ धर्म देव राय, डीएसइ बांके बिहारी सिंह, डिप्टी डीएसइ एमके पांडेय आदि भी मौजूद थे.
क्या-क्या फीस
बैठक में एडीएम विधि-व्यवस्था बीपीएल दास ने प्राचार्यो से पूछा कि क्या-क्या फीस लेते हैं, यही बता दीजिए. डीसी ने कहा कोई शुल्क जो घोषित नहीं है, वह कैपिटेशन होगा. यह स्थिति ठीक नहीं. टीचर का रिस्पेक्ट नहीं रह गया है. बैठक में राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य फूल सिंह, सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल के प्राचार्य आरपी तिवारी, धनबाद पब्लिक स्कूल (हीरक शाखा) के प्राचार्य प्रशांत कुमार, श्रीश्री सूर्यदेव सिंह स्मृति गुरुकुलम के प्राचार्य एसएम तहसीन अहमद, सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य शिवशंकर पांडेय, धनबाद पब्लिक स्कूल (मेन ब्रांच) के प्राचार्य कुलदीप सिंह हेरन, गुरु गोविंद सिंह पब्लिक स्कूल के प्राचार्य बर्नाड पांडेय आदि मौजूद थे.
डी-नोबिली-कार्मेल ने किया बहिष्कार
बैठक में सभी स्कूलों के प्रिंसिपलों की उपस्थिति अनिवार्य थी, लेकिन डी-नोबिली एवं कार्मेल स्कूल ग्रुप ने बैठक का बहिष्कार किया. दोनों ग्रुप के किसी भी स्कूल के प्रिंसिपल बैठक में नहीं आये. किसी आइसीएसइ स्कूल ने आरटीइ एक्ट के अनुसार स्वघोषणा पत्र (फॉर्म 1) भी डीएसइ कार्यालय को नहीं दिया है. वे खुद को अल्पसंख्यक का हवाला देकर दायरे में नहीं आने की बात कहते हैं. हालांकि दोनों ग्रुप की ओर से डीसी को किसी मामले में पत्र भेजने की भी चर्चा है. .
एक-एक कक्षा में 60-70 बच्चे : ऐसे स्कूल जो आरटीइ एक्ट के नॉर्म्स के अनुसार नहीं हैं, वैसे स्कूल बंद होंगे. डीएसइ ने कहा एक-एक कक्षा में 60-70 बच्चे बैठते हैं, नहीं चलेगा. डीसी ने कहा नॉर्म्स व स्टैंडर्ड से आप अवगत हैं ही, उसे पूरा करें, बेहतर शिक्षा दें.
बीपीएल में नामांकन : डीएसइ ने कहा हर स्कूल को प्रवेश कक्षा में 25 फीसदी सीटों में बीपीएल का नामांकन लेना है. प्रवेश कक्षा से ऊपर की जितनी कक्षाओं में सामथ्र्य संख्या की सीटें बढ़ेंगी, उसके भी 25 फीसदी सीटों में नामांकन लेना होगा. उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार विभाग बीपीएल नामांकन की सूची उपलब्ध करायेगा. डीसी ने कहा सरकार भी मामले में गंभीर है. बीपीएल बच्चे होंगे तो दोनों (बीपीएल व सामान्य) बच्चों में सोशल अंडरस्टैंडिंग आयेगी. आइएसएल भूली के प्रिंसिपल ने कहा कि बीपीएल के लिए कोई आवेदन आया ही नहीं. डीएसइ ने कहा कि नामांकन को ले संबंधित स्कूल का विज्ञापन भी निकालेंगे.
नहीं होगा स्क्रीनिंग : डीएसइ ने कहा कि बीपीएल ही नहीं सामान्य बच्चों के नामांकन के चयन में भी अभिभावकों या बच्चों का कोई स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं होगा. पहले आओ पहले पाओ या लॉटरी से चयन करें.
नो प्रॉफिट, नो लॉस : डीएसइ ने कहा स्कूल चैरिटेबल सोसाइटी से रजिस्टर्ड है, इसलिए नो प्रॉफिट पर काम करना है. स्कूल जिस मद में पैसा लेते हैं, उसी मद में खर्च करना है. इसलिए नो प्रॉफिट एंड नो लॉस का पालन करना है.
सुरक्षा से समझौता नहीं : स्कूलों ने कहा कि स्कूल वैनों पर उनका कंट्रोल नहीं. डीसी ने कहा कड़ाई होगी तो सभी नियम का अनुपालन होने लगेगा. तुरंत नये वैन आ जायेंगे. अभिभावकों को भी चाहिए कि वे थोड़े पैसे के लिए सुरक्षा से समझौता नहीं करें. एडीएम ने कहा बच्चे की जिम्मेवारी आपकी है. 18 साल के लड़के का बाइक चलाना गैरकानूनी है, जो लीगल व सोशल नॉर्म्स है.
कोई बच्चा अगर बाइक से आता है तो जब्त करें. जरूरत पड़े तो डीटीओ या हमें फोन करें
जन्मतिथि के ये प्रमाण : आरटीइ के अनुसार जन्मतिथि के संबंधित दस्तावेज प्रमाणपत्र हो सकते हैं. इसमें अस्पताल या सहायक नर्स व दाई रजिस्टर अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख, माता-पिता/अभिभावक द्वारा बालक के आयु की घोषणा शामिल हैं.
सूचना को बाध्य हैं स्कूल : डीएसइ ने कहा कि सूचना देने को सभी स्कूल बाध्य हैं. स्कूलों को एक अलग समिति बनानी है, जिसकी अपनी शक्ति व कार्य हैं. सोमवार तक बाकी बचे सभी स्कूलों को फॉर्म वन भर कर जमा कर देना है.