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प्राय: जमसं नेताओं के मोबाइल स्वीच ऑफ

धनबाद: बीसीसीएल की नंबर एक यूनियन जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रामधीर सिंह को सजा होने के बाद कोयलांचल मे यह सवाल जोरों से उठने लगा है कि जमसं पर क्या असर होगा? शनिवार को फैसला आने के बाद जगह-जगह, कोलियरियों की चाय दुकानों मे यह सवाल आम था. जमसं कार्यकर्ताओं एवं श्रमिकों की मानें […]

धनबाद: बीसीसीएल की नंबर एक यूनियन जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रामधीर सिंह को सजा होने के बाद कोयलांचल मे यह सवाल जोरों से उठने लगा है कि जमसं पर क्या असर होगा? शनिवार को फैसला आने के बाद जगह-जगह, कोलियरियों की चाय दुकानों मे यह सवाल आम था.

जमसं कार्यकर्ताओं एवं श्रमिकों की मानें तो अध्यक्ष रामधीर को सजा होने के बाद यूनियन पर असर पड़े या न पड़े, श्रमिकों के काम पर तो पड़ेगा. भले संघ के आला नेता इससे इनकार करें. दिलचस्प बात यह भी है कि सजा पर प्रतिक्रिया जानने के लिए मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास असफल रहा. क्योंकि संघ के नेता केडी पांडेय, प्रदीप सिन्हा समेत कई नेताओं का मोबाइल फोन स्वीच ऑफ बता रहा था.

सहज उपलब्ध मजदूर नेता : जमता मजदूर संघ के अध्यक्ष बनने के बाद रामधीर सिंह ने यूनियन को भरपूर समय देना शुरू किया. झरिया स्थित संघ के केंद्रीय कार्यालय में सुबह आठ बजे आकर बैठ जाते थे. इसके बाद मजदूरों का आना शुरू हो जाता. श्रमिक सीधे उनसे मिलते, अपनी बात कहते. श्री सिंह भी मजदूरों से सीधे मिलना पसंद करते थे. बात सुनने के बाद वे सीधे संबंधित अधिकारी को फोन लगा कर बात करते एवं मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने को कहते. जरूरत पड़ने पर वे तुरंत मजदूर को लेकर संबंधित अधिकारी के कार्यालय में जा धमकाते. लोग बताते हैं कि एक बार एक मजदूर के काम को लेकर बीसीसीएल के तत्कालीन डीपी से कोयला भवन स्थित उनके कार्यालय मे उलझ पड़े थे. जिस कारण कंपनी ने उन पर नन ग्राटा घोषित कर दिया था.
2006 मे बने थे जमसं के अध्यक्ष
जमसं के संस्थापक विधायक सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद बच्च सिंह ने यूनियन की कमान संभाली. पारिवारिक विवाद का असर यूनियन पर भी पड़ा. 2004 मे बच्च सिंह महामंत्री पद से हटा दिये गये. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अध्यक्ष, कुंती देवी महामंत्री और रामधीर सिंह उपाध्यक्ष बने. बच्च सिंह ने कुंती गुट को फर्जी बताया. कोल इंडिया ने चंद्रशेखर एवं एचएमएस से इस बारे में पूछा. चंद्रशेखर एवं एचएमएस ने कुंती गुट को असली बताया. बच्च सिंह ने कोलफील्ड लेबर यूनियन बनाया एवं उसके महामंत्री बने. 15 अगस्त 2005 को दोनों गुटों मे समझौता हुआ. बच्च सिंह अध्यक्ष एवं कुंती देवी महामंत्री बनीं. इसके साथ ही फिर से मतभेद शुरू हो गया. 27 अगस्त 2006 को झरिया मे कुंती गुट के सम्मेलन मे बच्च गुट ने हंगामा किया. इसके बाद कुंती गुट ने सम्मेलन कर रामधीर सिंह को अध्यक्ष एवं कुंती देवी को महामंत्री चुना. 27 मई 2007 को सम्मेलन कर बच्च गुट ने इंदर सिंह नामधारी को अध्यक्ष एवं बच्च सिंह को महामंत्री बनाया.

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