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झारखंड नहीं आना चाहते डॉक्टर

धनबाद: झारखंड में चिकित्सकों की भारी कमी है. मेडिकल कॉलेज से ले कर स्वास्थ्य केंद्रों तक में डॉक्टरों की कमी को भरने में स्वास्थ्य विभाग का पसीना छूट रहा है. बाहर से चिकित्सक यहां आना नहीं चाहते. झारखंड से एमबीबीएस करने वाले अधिसंख्य जूनियर डॉक्टर भी राज्य से बाहर का रुख कर ले रहे हैं. […]

धनबाद: झारखंड में चिकित्सकों की भारी कमी है. मेडिकल कॉलेज से ले कर स्वास्थ्य केंद्रों तक में डॉक्टरों की कमी को भरने में स्वास्थ्य विभाग का पसीना छूट रहा है. बाहर से चिकित्सक यहां आना नहीं चाहते. झारखंड से एमबीबीएस करने वाले अधिसंख्य जूनियर डॉक्टर भी राज्य से बाहर का रुख कर ले रहे हैं.
क्या है स्थिति : झारखंड में रिम्स सहित तीन मेडिकल कॉलेज ही हैं. इनमें से पीजी की पढ़ाई सिर्फ रिम्स एवं एमजीएम जमशेदपुर में ही होती है. इसमें एमजीएम जमशेदपुर में पीजी के लिए केवल 11 सीटें ही स्वीकृत हैं. पीएमसीएच धनबाद में पीजी की पढ़ाई के लिए अनुमति नहीं मिल पा रही है. तीनों मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 190 सीटें हैं. इनमें से पचास सीटों पर नामांकन ऑल इंडिया पीएमडीटी के जरिये होती है, जबकि 140 सीटों पर झारखंड के छात्रों का नामांकन होता है. पीजी करने बाहर जाने वाले झारखंड के अधिकांश डॉक्टर भी दूसरे राज्य में ही नौकरी करना पसंद करते हैं. सूत्रों की मानें तो यहां से 190 छात्र जो एमबीबीएस करते हैं,उनमें से बमुश्किल तीस जूनियर डॉक्टर ही झारखंड में नौकरी करना पसंद करते हैं. जबकि हर वर्ष यहां पचास से साठ डॉक्टर रिटायर्ड हो रहे हैं. इस समस्या से बचने के लिए राज्य सरकार ने डॉक्टरों की रिटायर्डमेंट की आयु बढ़ा कर 65 वर्ष कर दी है, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है.
एक दशक से नहीं मिली प्रोन्नति
झारखंड में डॉक्टरों को कालबद्ध प्रोन्नति नहीं मिलती. पीएमसीएच से एमबीबीएस करने वाले छात्र आज गुजरात में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य बन गये हैं, जबकि उन्हें पढ़ाने वाले चिकित्सक अब भी पीएमसीएच में सहायक प्राध्यापक ही हैं. इन्हीं कारणों से कोई चिकित्सक झारखंड नहीं आना चाहते. एक डॉक्टर के अनुसार झारखंड में वेतन का एरियर लेने के लिए भी घूस देना पड़ता है.

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