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नहीं मिल रहा क्लीयरेंस, संकट में क्रशर उद्योग

धनबाद: विभागीय खामियों के कारण जिला के डेढ़ सौ माइनिंग व क्रशर उद्योग मालिक संकट में हैं. इनकी समस्या है कि झारखंड पर्यावरणीय मूल्यांकन समिति अनापत्ति के लिए आवेदन नहीं ले रही. रांची का चक्कर भी बेकार हो गया है. नाराज उद्योग मालिकों ने स्थिति नहीं सुधरने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. क्या है […]

धनबाद: विभागीय खामियों के कारण जिला के डेढ़ सौ माइनिंग व क्रशर उद्योग मालिक संकट में हैं. इनकी समस्या है कि झारखंड पर्यावरणीय मूल्यांकन समिति अनापत्ति के लिए आवेदन नहीं ले रही. रांची का चक्कर भी बेकार हो गया है. नाराज उद्योग मालिकों ने स्थिति नहीं सुधरने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

क्या है माजरा : माइनिंग उद्योग, स्टोन क्रशर आदि से संबंधित उद्योगों के संचालन के लिए इनवायरमेंटल क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जरूरी होता है. यह रांची स्थित झारखंड पर्यावरण मूल्यांकन समिति जारी करती है. इसके लिए आवेदन के साथ ढाई एकड़ भूमि पर स्थित उद्योग को 50 हजार रुपये तथा उससे अधिक के लिए एक लाख रुपये का ड्राफ्ट देने का नियम है. विभिन्न कागजात के अलावा इनसे सीओ, डीएफओ तथा डीएमओ का प्रमाण पत्र मांगा जाता है.

लेकिन विभाग उन्हें प्रमाण पत्र नहीं दे रहा है. डीएफओ, डीएमओ तथा सीओ विभागीय आदेश के बिना प्रमाणपत्र नहीं जारी करने की बात करते हैं. क्लीयरेंस के अभाव में करीब डेढ़ सौ उद्योग बंद पड़े हैं.

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