हड़ताल के कारण किसी डॉक्टर ने बच्चे की सुध नहीं ली. वहीं कोडरमा के सतगांवा के रहने वाले केशर प्रसाद यादव सदर अस्पताल से रांची रेफर कर दिये गये थे. मारपीट की घटना में घायल हुए केशर को रांची लाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाया था. परिजनों ने आपस में चंदा कर 15 सौ रुपये की व्यवस्था की थी, लेकिन एंबुलेंस का ड्राइवर लाने को तैयार नहीं था. प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री प्रश्न काल से पहले सदन में यह मामला उठाया. श्री सोरेन ने कहा कि क्या ऐसी व्यवस्था में ही हम रहेंगे. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण आम आदमी मरेगा. उन्होंने कहा कि क्या डॉक्टरों को अस्पताल में ताला लगाने का अधिकार है. श्री सोरेन के सवाल पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि यह दु:खद घटना है. दोनों ही घटनाओं की जांच होगी. सरकार ऐसे मामले में पूरी तरह संवेदनशील है.
प्रतिपक्ष के नेता श्री सोरेन का कहना था कि सरकार को गरीब-गुरबे की चिंता नहीं है. यह विषय केवल जांच का नहीं है. मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाना चाहिए. स्पीकर दिनेश उरांव ने नियमन दिया कि सरकार चलते सत्र में ही रिपोर्ट दे. ऐसे मामले पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.