धनबाद: चासनाला, गजलीटांड, बागडिगी – खनन इतिहास के तीन बड़े हादसे. स्थितियां भी एक जैसी – खदान में ही चार सौ से ज्यादा कोयला श्रमिकों की जलसमाधि बन गयी. यूं कहें तो तीनों हादसे पानी की वजह से से ही हुए. जांच में सच निकल कर सामने आया -बैरियर तोड़ कर पानी खदान के अंदर घुस गया. सर्वेयिंग की चूक उजागर हुई. अब शायद यह नौबत न आये.
ऐसा इसलिए क्योंकि – जाइरोमेट के रूप में एक नायाब उपकरण उपलब्ध है जो खदान के अंदर यह बता देगा कि बैरियर व सरफेस से कितनी दूर पर माइनिंग करनी है या अभी जो माइनिंग हो रही है वहां से ये दोनों कितनी दूर हैं. आइएसएम के माइनिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के पास दो करोड़ की लागत का यह उपकरण पहुंच चुका है. जल्दी ही इसकी एसेंबलिंग पूरी कर ली जायेगी.