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बड़े हादसा का इंतजार कर रहा है प्रशासन

धनबाद: 44 वर्ष पुराना ओवरब्रिज खतरनाक बनता जा रहा है. वाहनों के दबाव ऊपर से जलापूर्ति की पाइप कभी भी बड़े हादसे के कारण बन सकती हैं. मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एनएच के कार्यपालक पदाधिकारी को जल्द मरम्मत करने को कहा था, लेकिन चार माह गुजर गये, अब तक एनएच […]

धनबाद: 44 वर्ष पुराना ओवरब्रिज खतरनाक बनता जा रहा है. वाहनों के दबाव ऊपर से जलापूर्ति की पाइप कभी भी बड़े हादसे के कारण बन सकती हैं. मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एनएच के कार्यपालक पदाधिकारी को जल्द मरम्मत करने को कहा था, लेकिन चार माह गुजर गये, अब तक एनएच विभाग से लेकर जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं. वहीं जनप्रतिनिधि उदासीन बने हुए हैं.
वर्ष 1970 में बना ओवरब्रिज : बताया जाता है कि रे टॉकिज के पास भीषण सड़क दुर्घटना हुई थी. ट्रेन व बस की टक्कर में यहां दर्जनों लोग मारे गये थे. इसके बाद वर्ष 1970 में यहां ओवरब्रिज बनाया गया. उस समय वाहनों की संख्या काफी कम थी. ओवरब्रिज के नीचे 54 दुकानें बनायी गयी. धीरे-धीरे वाहनों की संख्या बढ़ती गयी. लेकिन मरम्मत के नाम पर कभी कुछ नहीं हुआ. उलटे यहां डिवाइडर के साथ जलापूर्ति पाइप का बोझ डाल दिया गया, जिससे यह और खतरनाक हो गया.
सड़क एक, बदलता रहा विभाग : बताया जाता है कि पहले यहां की सड़क जिला परिषद की थी. इसके बाद यह पथ निर्माण विभाग के अधीन हो गया. इसके बाद सड़क एसएन 32 के अधीन आ गया. इस दौरान विभाग तो बदलता रहा, लेकिन सड़क व ओवरब्रिज की सूरत नहीं बदली.
सड़क मरम्मत में हो रही देरी : पुल पर ओवरलोड के कारण ही इसके ऊपर सड़क मरम्मत से संवेदक भी बच रहे हैं. बताया जाता है कि सड़क मरम्मत की गयी, तो भार के कारण पुल टूट सकता है. वहीं कई बार इसकी शिकायत भूली मोड़ के लोगों ने भी जिला प्रशासन से की है. यहां आये दिन पुल के टुकड़े टूट-टूट कर गिरते रहते हैं.
जल्द मरम्मत होगी : डीडीसी
डीडीसी चंद्र किशोर मंडल ने बताया कि इस मामले पर एनएच के अधिकारियों से बात हुई है. बताया गया है कि सात फरवरी को मरम्मत के लिए टेंडर निकाला जायेगा. टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही, काम शुरू करा दिये जायेंगे.
पीआइएल करेंगे अधिवक्ता आरपी चौधरी
ओवरब्रिज को दुरुस्त करने की लड़ाई लड़ रहे वरीय अधिवक्ता राम पुनीत चौधरी अब पीआइएल के मूड में हैं. उन्होंने कहा कि जजर्र पुल को लेकर मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. संज्ञान लेते हुए एनएच के पदाधिकारी व जिला प्रशासन को तत्काल पुल पर से भार हटा कर मरम्मत करने का निर्देश दिया. चार माह के बाद भी कोई पहल नहीं की गयी. लिहाजा अब पीआइएल ही एक मात्र रास्ता है.

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