धनबाद: खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (माडा) ने बिहार के पचरूखी मिड डे मील की जांच करने में असमर्थता व्यक्त की है. माडा के लोक विश्लेषक सिद्धेश्वर शर्मा ने पटना के खाद्य आयुक्त को बताया है कि उक्त विषाक्त भोजन की जांच के लिए जिस उपकरण की जरूरत है वह माडा के लैब में नहीं है. गौरतलब है कि सीवान जिले के पचरुखी प्रखंड के मिडिल स्कूल, हरदिया के मिड डे मील में कीटनाशक मिलाये जाने की आशंका है. वहां से चावल और सोयाबीन की सब्जी को सील कर जांच के लिए भेजा गया था.
माडा के लोक विशलेषक ने बताया कि असमर्थता जताने के बाद पटना के खाद्य आयुक्त ने खाद्य सामग्री की जांच के लिए उन्हें पटना बुलाया है. वह आज ही निकल रहे हैं. बिहार में जांच के लिए लैब तो है, लेकिन फूड एनालिस्ट नहीं है.
माडा से लैब को आय भी है : झारखंड सरकार ने माडा के लैब को अयोग्य घोषित किया हुआ है. इसके बाद भी यहां रेलवे और बिहार की खाद्य सामग्रियों की जांच होती है. इससे माडा को सालाना सात–आठ लाख की आय होती है. प्रति सैंपल जांच के लिए 200 रुपये मिलते हैं. अगस्त 12 से दिसंबर 12 के बीच बिहार सरकार ने एक लाख 26 हजार रुपया भुगतान किया है.