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साहब ! बच्चे मर रहे हैं, उन्हें बचाइए

धनबाद: साहब, बच्चे मर रहे हैं, परिवार के कई सदस्य बुखार से पीड़ित हैं. अस्पताल जाने के लिए भाड़ा तक नहीं है, हमें बचाइये. यह फरियाद करते-करते शंकर रो पड़ता है. आगे बढ़ कर पूछता हूं, तो बताते हैं आठ वर्ष की बेटी मिजिल्स के कारण दम तोड़ चुकी है. पत्नी व दूसरे बच्चे भी […]

धनबाद: साहब, बच्चे मर रहे हैं, परिवार के कई सदस्य बुखार से पीड़ित हैं. अस्पताल जाने के लिए भाड़ा तक नहीं है, हमें बचाइये. यह फरियाद करते-करते शंकर रो पड़ता है. आगे बढ़ कर पूछता हूं, तो बताते हैं आठ वर्ष की बेटी मिजिल्स के कारण दम तोड़ चुकी है. पत्नी व दूसरे बच्चे भी बीमार हैं. नजारा शहर से करीब छह किमी दूर बेलगिढ़या टाइनशिप का है. करीब दस हजार की आबादी में एक सौ बच्चे मिजिल्स से पीड़ित है. हर घर के बच्चे मिजिल्स से पीड़ित मिल रहे हैं.

शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की एक टीम यहां पहुंची थी, लेकिन पांच बच्चे का ब्लड सैंपल लेकर चलती बनी. फिर कोई चिकित्सक-अधिकारी नहीं आये. हालांकि आंगनबाड़ी कर्मचारियों पीड़ित बच्चों का सर्वे कर रहे हैं. उन पर ही सारा दारोमदार है.

तड़प-तड़प कर मर गयी आशा : शंकर ने बताया कि बेटी आशा को बीस दिन पहले मिजिल्स हुआ था. बलियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आठ किमी पड़ता है, पलानी में स्वास्थ्य उपकेंद्र भी काफी दूर है. बेटी की तबीयत लगातार खराब होती गयी. पूरा शरीर लाल हो गया. शरीर पर चकते निकल आये. पांच दिनों तक बुखार से तड़पती हुई आशा की अंतत: मौत हो गयी.
आक्रांत बच्चों के नाम
सलमान अंसारी (सात), गुड्ड कुमार(छह), गीता कुमारी (आठ), पूजा कुमारी (दस), ममता कुमारी (तीन), छोटी कुमारी (डेढ़), अमित कुमार (साढ़े तीन), श्रवण कुमार (छह), कुणाल कुमार (डेढ़), मुरतजा अंसारी (छह), मंगल कुमार (ढ़ाई), रोशन कुमार (दो), नेहा कुमार (चार), दिव्या कुमारी (छह), गोपाल कुमार (पांच), लक्ष्मी कुमारी(एक), चांदनी कुमारी(छह) आदि.
बुखार से तड़प रहे बच्चे : अदिति कुमारी , नीतीश कुमार, नंदनी कुमारी, मुस्कान, साहिबा, शहबाज बुखार से तड़प रही हैं. बच्चे सिसक रहे हैं. कुछ झोलाछाप तो कुछ घर पर ही देसी तरीके से इलाज कर रहे हैं. आसपास कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है. परिजन कहते हैं यहां हमलोगों को तो बसा दिया गया है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था नहीं की गयी है.
टीकाकरण योजना की खुली पोल
स्वास्थ्य विभाग का जिले में सौ प्रतिशत टीकाकरण के दावे की भी पोल खुल गयी. मिजिल्स के टीके बच्चों को नहीं लगने के कारण यहां बीमारी ने भयावह रूप ले लिया है. अधिकांश बच्चे की उम्र एक से पांच वर्ष के अंदर की है.

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