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दूर हो अव्यवस्था और कमियां
धनबाद : पीएमसीएच में दवा नहीं मिलने व चिकित्सक द्वारा सही से जांच नहीं करने की शिकायत पर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग रांची की निदेशक (स्वास्थ्य व शिक्षा) डॉ. मंजू झा ने पीएमसीएच का निरीक्षण किया. डॉ. झा तमाम वार्डो में जाकर मरीजों से मिली, चिकित्सकों व कर्मचारियों के कामकाज की जानकारी ली. कहीं अव्यवस्था […]
धनबाद : पीएमसीएच में दवा नहीं मिलने व चिकित्सक द्वारा सही से जांच नहीं करने की शिकायत पर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग रांची की निदेशक (स्वास्थ्य व शिक्षा) डॉ. मंजू झा ने पीएमसीएच का निरीक्षण किया. डॉ. झा तमाम वार्डो में जाकर मरीजों से मिली, चिकित्सकों व कर्मचारियों के कामकाज की जानकारी ली.
कहीं अव्यवस्था देख भड़कीं तो कहीं तुरंत इसे ठीक करने का निर्देश दिया. निदेशक यहां लगभग ढ़ाई घंटे तक रही. मौके पर सिविल सजर्न डॉ अरुण कुमार सिन्हा, पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ पीके सेंगर, अधीक्षक डॉ के विश्वास, डॉ आशुतोष कुमार, डॉ एके वर्णवाल, ओएसटी सेंटर के डॉ विकास कुमार राणा आदि मौजूद थे.
समय 12.30 बजे, सेंट्रल रजिस्ट्रेशन : निदेशक सबसे पहले सेंट्रल रजिस्ट्रेशन पहुंची. यहां बच्चे का टीकाकारण व जांच कराने आयी रूबी देवी से पूछा की इलाज होता है? डॉक्टर कैसे व्यवहार करते हैं? दवा मिलती है? रूबी ने बताया कि सभी दवा नहीं मिलती है, लेकिन चिकित्सक जांच करते हैं. इसके बाद खड़े विजय ने बताया कि ‘‘यहां स्टाफ कम है, इस वजह से काफी लेट हो जाता है.’’ निदेशक के साथ आये पीए ने अपने रजिस्टर में दोनों का नाम व बयानों को नोट किया.
समय 12.35 बजे, मेडिसिन विभाग : निदेशक ओपीडी के मेडिसिन विभाग पहुंची. यहां डॉ हीरालाल मुमरू ओपीडी में सेवा दे रहे हैं. बगल में श्वेता नाम की मरीज भरती है. निदेशक ने मरीज से पूछा कि सही से जांच होती है? कोई पैसा तो नहीं मांगता है? दवाएं मिलती है? श्वेता ने जवाब दिया सभी ठीक है. डॉ झा ने ओपीडी का रजिस्टर मांगा. बताया गया कि 12.30 बजे तक सात लोगों को को इंडोर भरती कराया गया है.
समय 12.44 बजे, ऑर्थोपेडिक्स विभाग : ऑर्थोपेडिक्स विभाग में डॉ विजय प्रताप सेवा दे रहे हैं. यहां निदेशक ने रजिस्टर की जांच की. देखा की यहां रजिस्टर में मरीजों का केवल नाम लिखा जाता है. पूछा कि यहां मरीजों को जो दवाएं मिलती हैं, साथ ही जांच होती है, उसे क्यों नहीं लिखा जाता है. इस पर चिकित्सक ने कहा कि वह तो सेंट्रल रजिस्ट्रेसन लिखता है. निदेशक ने पूछा कि मरीजों की स्थिति की अद्यतन जानकारी के लिए यह दोनों को अंकित करना जरूरी है.
इस पर सिविल सजर्न ने भी हामी भरी. डॉ. झा ने कहा कि ‘‘ऐसे व्यवस्था नहीं चलता है. आप मेरे साथ पीएचसी-सीएचसी चलिए. इससे बेहतर रजिस्टर मेंटेन वहां किया जाता है.’’
समय 12.54, सजर्री विभाग : सजर्री विभाग में डॉ एके वर्णवाल आदि मौजूद थे. यहां भी निदेशक ने रजिस्टर को देखा. पूछा कि यहां दवा व जांच को अंकित किया जाता है कि नहीं, लेकिन यहां भी ऑर्थोपेडिक्स की तरह ही अव्यवस्था देखी गयी. यहां इंटर्न व जूनियर चिकित्सकों से भी उन्होंने पूछताछ की.
समय 1.01 बजे, दवा वितरण केंद्र : डॉ झा दवा वितरण केंद्र पहुंची. यहां देखा एक महिला स्टॉफ दवा दे रही है. लाइन में करीब 70-80 लोग खड़े हैं. लाइन में लगे रघुनंदन साव से पूछा की दवा मिलती है. बताया कि एक-दो को छोड़ और कोई दवा नहीं मिलती है. बाकी दवाओं के लिए बाहर का रास्ता अपनाना पड़ता है. निदेशक ने कहा कि हर दवा तो नहीं मिल सकती, लेकिन लिस्ट में 878 दवाएं होती हैं, जो रहनी चाहिए. इसके बाद और एक-दो मरीजों ने निदेशक ने पूछताछ की. इसके बाद वितरण केंद्र के अंदर पहुंची. यहां पूछा की दवा देने के लिए फार्मासिस्ट है, पता चला कि कोई फार्मासिस्ट नहीं है, मात्र नर्स के साथ एक फोर्थ ग्रेड का स्टाफ दवा देता है. उन्होंने एंटी रेबीज वैक्सिन के रजिस्टर की जांच की.
इसमें जैसे-तैसे इंट्री देख फटकार लगायी. बताया गया कि यहां एक दिन में तीन से चार सौ लोगों को दवाइयां दी जाती है. अधीक्षक से रजिस्टर पर एंटी रेबीज वैक्सिन का नाम लिखवाया. फ्रिज में रखे वैक्सिन की भी जांच की गयी.
समय : 1.16 बजे, स्टोर रूम : निदेशक स्टोर रूम में पहुंच कर स्टोर कीपर से रजिस्टर के संबंध में कई जानकारी ली.संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद निदेशक ने कहा कि ड्रग रजिस्टर, उपकरण के लिए रजिस्टर रखे. रैक बनाये, उसमें एक्सपायरी वाली दवा अलग रखे. जिससे उसे जल्द खत्म किया जा सके.
समय 1.19 बजे, इएनटी विभाग : कान, नाक व गला विभाग के ओपीडी में डॉ एसएन मेहता मिले. वहां पहुंच कर निदेशक ने रजिस्टर की मांग की. पूछा कि हर दिन कितने मरीज यहां देखे जाते हैं. जवाब मिला सीजन में मरीजों की संख्या सौ के पार पहुंच जाती है. फिलहाल 70-80 मरीज आते हैं. निदेशक ने वहां से कई जानकारी जुटायी.
समय 1.33 बजे, गायनी : निदेशक स्त्री व प्रसव रोग विभाग पहुंची. यहां डॉ शशिबाला व डॉ उर्मिला सिंह मिलीं. लेबर रूम का मुआयना किया. फिर वार्ड में जाकर प्रसुतियों से जानकारी ली. पूछा कि दवा बाहर से लेनी पड़ती है कि अस्पताल से ही मिल जाती है. मरीजों ने बताया कि एक दो को छोड़ बाकी दवाएं बाहर से लेनी पड़ती है. महिलाओं के नाम रिकार्ड के लिए नोट किये गये.
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