इस पर भविष्य में पार्क, महिला कॉलेज, बालिका छात्रवास तथा सरकारी कार्यालय व सरकारी आवास, स्कूल आदि का निर्माण कराया जा सकता है. इसका अतिक्रमण किसी भी हालत में होने नहीं दिया जायेगा. यदि फर्जी कागजात के सहारे कोई व्यक्ति इस पर कब्जा करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी. टीम ने गोविंदपुर सीओ को उक्त जमीन का सीमांकन कर घेरने का निर्देश दिया. टीम ने अंचल कार्यालय पहुंच कर अंचलाधिकारी श्री तिवारी, अंचल निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद व हल्का कर्मचारी अरुण कुमार से उक्त जमीन की वस्तुस्थिति की जानकारी ली. अंचलाधिकारी ने बताया कि जियलगढ़ा मौजा नंबर 129 , खाता नंबर 10 , प्लॉट नंबर 1043, कुल रकबा 18़50 एकड़ जमीन झारखंड सरकार की है. रजिस्टर-2, गैरआबाद पंजी एवं अन्य अंचल के अन्य दस्तावेज में भी उक्त जमीन का जिक्र झारखंड सरकार की गैर आबाद भूमि की सूची में है. इसके बाद टीम ने जियलगढ़ा जाकर स्थल का मुआयना किया. इस दौरान बीडीओ संजीव कुमार, जिप सदस्य सुमिता दास, उप प्रमुख पूनम सिंह, परमानंद गिरि, पप्पू सिंह, राजस्व कर्मचारी निरोज कुमार समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे.
जमीन की जमाबंदी वर्ष 1981-82 में चटर्जी ने खुलवा कर लगान का भुगतान किया था. लेकिन तत्कालीन उपायुक्त ने 1983 में उक्त जमाबंदी रद्द कर दी. बाद में श्री चटर्जी ने उक्त रद जमाबंदी को दोबारा खुलवा ली थी. बाद में बैजू कुम्हार ने भी उक्त जमीन पर दावा किया था. समाहर्ता सह उपायुक्त प्रशांत कुमार ने 2013 के जून माह में उक्त जमाबंदी को फिर से रद्द कर दी.
जियलगढ़ा व कालाडीह के लोगों ने अंचल कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन को आवेदन देकर उक्त सरकारी जमीन की रक्षा की मांग की थी, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हो पायी. इसके बाद जिप सदस्य सुमिता दास ने आयुक्त एवं राजस्व पर्षद को पत्र लिखा. आयुक्त के आदेश के बाद गोविंदपुर अंचल कार्यालय ने विगत 03 नवंबर को उक्त जमीन पर एक बोर्ड लगा कर सरकारी अभिरक्षा में ली गयी थी. आयुक्त को जांच प्रतिवेदन नहीं मिलने पर उन्होंने विगत 15 दिसंबर को उक्त जमीन की स्थल जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी.