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मोहित हुआ अनाथ, पीएमसीएच सहारा

धनबाद: पांच वर्ष का मोहित टीबी वार्ड में घूम-घूम कर अपनी मां को खोज रहा है. उसे नहीं पता कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है. पहले सिर से पिता का साया हटा. अब मां की ममता भी उससे रूठ गयी. मोहित अनाथ हो चुका है. अस्पताल कर्मी कहते हैं, मोहित की मां […]

धनबाद: पांच वर्ष का मोहित टीबी वार्ड में घूम-घूम कर अपनी मां को खोज रहा है. उसे नहीं पता कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है. पहले सिर से पिता का साया हटा. अब मां की ममता भी उससे रूठ गयी. मोहित अनाथ हो चुका है. अस्पताल कर्मी कहते हैं, मोहित की मां मुनिया देवी (36) टीबी की शिकार थी. बुधवार को उसने आखिरी सांस ली. वह दो वर्षो से पीएमसीएच में भरती थी. इन दो वर्षो में नन्हे मोहित ने अस्पताल को ही अपना घर मान लिया. होश संभाला, तो खुद को पीएमसीएच में पाया. जब भूख लगती तो खाना वाले वेंडर से रोटी मांग ली. नींद आयी तो अपने वार्ड में जाकर सो गया. मां के मरने के बाद भी उसकी यही दिनचर्या है.

सबका प्यारा मोहित
अस्पताल के कर्मी, सफाई कर्मी व सुरक्षा प्रहरी सभी के लिए मोहित प्यारा हैं. कोई टिफिन लाते हैं, तो मोहित के लिए भी अलग से रोटी ले लेते हैं. मोहित भी इन्हें ही परिवार मानता है, किसी को तोतली आवाज में चाचा, तो किसी को भैया कहता है.

घर वाले ने भी छोड़ दिया है साथ
अस्पताल कर्मियों ने बताया कि मुनिया के पति की मौत करीब पांच वर्ष पहले हो गयी थी. वह चांदमारी के रहने वाले थे. रिक्शा चलाते थे. मोहित के जन्म के दो साल बाद मुनिया को टीबी हो गयी. परिजनों को उसे पीएमसीएच में भरती करा दिया. मुनिया के साथ उसका बेटा मोहित भी था. परिजन कभी हालचाल लेने नहीं आते थे. मुनिया को टीबी थी, इसलिए पीएमसीएच के चिकित्सकों ने मोहित को शिशु वार्ड में भेज दिया. उस समय मोहित की तबीयत भी खराब रहती थी. बाद में मोहित को अस्पताल के कर्मियों व सफाई कर्मियों ने परिवार का प्यार दिया. कर्मियों का कहना है कि मोहित को यदि कोई अनाथालय या संस्था वाले ले जाये व उसे थोड़ी बहुत शिक्षा मिल जाये, तो बेहतर होता.

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