धनबाद: कोल इंडिया की विभिन्न अनुषंगी इकाइयों में कार्यरत आधा दर्जन से अधिक माइनिंग प्रशिक्षु इंजीनियर को कार्य से अलग कर दिया गया है. आंखों में रोशनी में खामियां पाये जाने से शीर्ष स्तर पर यह निर्णय लिया गया है. वर्ष 2013 में माइनिंग प्रशिक्षु अधिकारियों की बहाली हुई थी.
बहाली से पहले इन अधिकारियों का मेडिकल परीक्षण व अन्य प्रकार के टेस्ट लिये गये थे. विभिन्न कंपनियों में एक वर्ष तक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद लगभग एक दर्जन से अधिक माइनिंग प्रशिक्षु अधिकारियों को काम से हटा दिया गया. इन अधिकारियों को जो नोटिस दिया गया है उसमें कलर ब्लाइंडनेस की समस्या बतायी गयी है. बताया जाता है कि प्रशिक्षण के उपरांत इन अधिकारियों का पुन: मेडिकल परीक्षण कराया गया था, जिसमें यह समस्या सामने आयी.
बीसीसीएल से अनिल दास को निकाला : कोल इंडिया द्वारा हटाये गये प्रशिक्षु माइनिंग इंजीनियरों में बीसीसीएल के सीबी एरिया का प्रशिक्षु माइनिंग इंजीनियर अनिल दास शामिल हैं. चर्चा है कि बीसीसीएल के सीएमडी टीके लाहिड़ी ने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र लिख कर श्री दास को वैकल्पिक कार्य पर पुन: रखने की मांग की है. कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया बीसीसीएल शाखा के महामंत्री भवानी बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोल इंडिया में पहले से ही प्रावधान बना हुआ है कि अधिकारी व कर्मचारी को दूसरा वैकल्पिक कार्य दिया जा सकता है. किंतु सीआइएल ने ऐसा न करते हुए अधिकारियों को काम से हटा दिया. एसोसिएशन इसका विरोध करता है.
अन्य मान देने का है प्रावधान
मेडिकल में किसी तरह से अनफिट होने पर अन्य कार्य देने का प्रावधान भी है. 12 सितंबर 2007 में सीआइएल के महाप्रबंधक श्रम शक्ति एवं औद्योगिक सवैध आरएस राय ने अपने आदेश के क्रमांक 283 में कहा था कि कलर ब्लाइंडनेस रहने के बाद भी ऐसे कर्मियों को वैकल्पिक नौकरी दे.
निकाले गये अधिकारी
बीसीसीएल से अनिल दास, एसइसीएल से महेंद्र पैकरा, एमसीएल से प्रदीप मुमरू व इसीएल से क्रमश: पार्थ पटयारी, असित कुमार व अभिषेक मांझी आदि.