धनबाद:जिले में दो नदियों के दस घाटों से बालू की नीलामी एक साल से बंद है. सरकार द्वारा रद्द नीलामी को वापस नहीं लिये जाने से एकमात्र ठेकेदार अपना बकाया मांग रहा है. ठेकेदार ने धनबाद जिला खनन विभाग को आवेदन देकर 2.5 करोड़ बकाया राशि की मांग की है. लिहाजा विभाग ने राज्य सरकार को पत्र भेज कर ठेकेदार को बकाया राशि भुगतान करने की अनुमति मांगी है. राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ठेकेदार को बकाया राशि मिल जायेगी.
जानकारी के अनुसार 8 अगस्त 2011 को जिला प्रशासन की ओर से टुंडी प्रखंड के बराकर नदी व तोपचांची प्रखंड की जमुनिया नदी के दस घाटों की तीन वर्षो के लिए चार करोड़ में नीलामी की गयी थी. उसके बाद बालू की उठाव शुरू किया गया. वर्ष 2012 के जुलाई के अंतिम सप्ताह में सरकार ने वन विभाग की ओर से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट के बगैर नीलामी होने से इस नीलामी को रद्द कर दिया. सरकार ने आदेश जारी किया कि ठेकेदार को वन विभाग मुख्यालय रांची से राज्य स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकार और राज्य स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन समिति अप्रेजल की ओर से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. इसके बिना संबंधित ठेकेदार नीलामी के हकदार नहीं होंगे.
नीलामी रद्द होने से सरकार को एक वर्ष में एक करोड़ 33 लाख से अधिक का राजस्व का नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर रोजाना घाटों से दर्जनों ट्रक बालू की चोरी हो रही है. इसे रोकने व पकड़ने वाला कोई नहीं है. धनबाद जिला खनन पदाधिकारी रामेश्वर राणा ने कहा कि सरकार के आदेश के बाद ही जिला प्रशासन की ओर से नीलामी होगी. फिलहाल अभी किसी ठेकेदार ने क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं लिया है. जहां तक बालू चोरी की बात है, तो उसे रोकना पुलिस का काम है.