धनबाद : काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के एकेडमिक सेंटर से एम टेक कर साइंटिस्ट बनने का सपना संजोने वाले छात्रों को बड़ा झटका लगा है. सीएसआइआर प्रबंधन ने पूरे देश में ऐसे 92 छात्रों को साइंटिस्ट के रूप में बहाल करने के पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इससे विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिभा तलाशने की सरकार की मुहिम को भी धक्का लगा है.
क्या है मामला : सीएसआइआर ने वर्ष 2012 में कई शहरों में संस्थान के लेबोरेटरी में एकेडमिक इंस्टीट्यूट खोला. सिंफर धनबाद शाखा में भी एकेडमिक इंस्टीट्यूट खुला. इन एकेडमिक इंस्टीट्यूट से एम टेक एवं पीएचडी की उपाधि दी जाती है. विज्ञापन में छपा था कि एम टेक में जो छात्र 80 प्रतिशत से अधिक अंक ला कर पास करेंगे, उन्हें साइंटिस्ट सी के रूप में बहाल किया जायेगा. उन्हें 15600-39100 के वेतनमान देने की भी बात हुई थी.
जबकि पढ़ाई के दौरान उन्हें 34650 रुपये मानदेय के रूप में दिया जा रहा था. धनबाद सेंटर में 2012 बैच में दस छात्रों का नामांकन एम टेक में हुआ था. सभी छात्र काफी प्रतिभाशाली एवं गेट के रैंक होल्डर थे. कुछ ने बड़े निजी कंपनियों की नौकरी छोड़ कर सीएसआइआर ज्वाइन किया था. छात्रों के अनुसार एम टेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे लोग सीएसआइआर के विभिन्न लैब से जुड़ कर काम कर रहे थे. अगस्त 2014 से अचानक उन लोगों का वेतन बंद कर दिया गया. कहा गया कि उन लोगों की पढ़ाई पूरी हो चुकी है. अब संस्थान को उनकी जरूरत नहीं है.
सभी ने साधी चुप्पी
इस मामले में सीएसआइआर के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. छात्रों ने सीएसआइआर के डीजी से मुलाकात कर इंसाफ की गुहार लगायी. छात्रों ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री डा. हर्ष वर्धन से भी मुलाकात की. मंत्री ने भी कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया. सिंफर के अधिकारी तो इसे नीतिगत मामला बताते हुए कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया.
कहते हैं छात्र
सीएसआइआर के विज्ञापन के शर्त के अनुरूप सारे छात्रों ने 80 फीसदी से अधिक अंकों के साथ एम टेक की पढ़ाई पूरी की. अब हमारी साइंटिस्ट सी के रूप में स्थायी बहाली होनी चाहिए थी. लेकिन संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जबकि हम लोगों ने अच्छी नौकरी छोड़ सिंफर में ज्वाइन किया था.
जय वर्धन कुमार
एक तरफ देश में विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिभा को सामने लाने की बात हो रही है. दूसरे देशों में बसे भारतीय वैज्ञानिकों को बुलाया जा रहा है. दूसरी तरफ, यहां युवा वैज्ञानिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. इससे छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि घटेगी.
विवेक कुमार हिमांशु