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बीआइटी के छात्र प्रियांक के उपन्यास की धूम

धनबाद: बीआइटी सिंदरी के छात्र प्रियांक के अंगरेजी उपन्यास ‘आइ एम डेड बट माय हार्ट बीट्स’ इन दिनों में चर्चे में है. खासकर टीन एजर्स इसे काफी पसंद कर रहे हैं. मूल रूप से सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड स्थित लालगंज गांव निवासी व महिला कॉलेज जमशेदपुर में प्रोफेसर अरुण कुमार झा के 21 वर्षीय […]

धनबाद: बीआइटी सिंदरी के छात्र प्रियांक के अंगरेजी उपन्यास ‘आइ एम डेड बट माय हार्ट बीट्स’ इन दिनों में चर्चे में है. खासकर टीन एजर्स इसे काफी पसंद कर रहे हैं.

मूल रूप से सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड स्थित लालगंज गांव निवासी व महिला कॉलेज जमशेदपुर में प्रोफेसर अरुण कुमार झा के 21 वर्षीय पुत्र प्रियांक ने अपनी प्रेम कहानी पर यह उपन्यास लिखा है. दावा है कि कुछ ही महीने बाद बेस्ट सेलर बुक बन गयी है. उपन्यास इस कदर चर्चित हो चुका है कि प्रकाशक ने चौथा एडिशन लाने की घोषणा कर दी है.

प्यार के मायने अलग-अलग : प्रियांक बताते हैं कि जिंदगी में प्यार के मायने हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन उसका मकसद एक ही होता है. प्यार आपको कुछ भी बेहतर करने का प्रेरणा भी देता है. युवा लेखक प्रियांक बताते हैं कि जमशेदपुर में पढ़ाई के दौरान ही उसे कॉलेज की एक लड़की से प्यार हो गया था. इसके बाद वह प्यार ही बेस्ट सेलर बन चुके उपन्यास का आधार भी बना. प्रियांक बताता है कि उपन्यास के माध्यम से वह समाज की विकृत मानसिकता को बदलने का सार्थक प्रयास करना चाहता है.

तुम्हारे शब्दों में जादू है : प्रियांक अपनी कॉलेज की उस लड़की को रोजाना अपनी भावनाएं पहुंचाने के लिए कागज में कुछ पंक्तियां लिख कर दिया करता था. प्रियांक के लिखे शब्दों को देख लड़की ने एक दिन उसे कहा कि प्रियांक तुम्हारे शब्दों में एक जादू है, तुम कुछ ऐसा करो कि तुम्हारी भावनाएं समाज को नई दिशा देने का काम करे. उस समय प्रियांक ने दोस्त की कही बातों को टाल दिया था, लेकिन एक हादसे में अजीज दोस्त को गंवाने के बाद प्रियांक ने अपने प्रेम को कलमबद्ध किया.

किताब पूरी होने के साल भर बाद मिला प्रकाशक

किताब पूरी होने के बाद बीआइटी सिंदरी में अध्ययनरत प्रियांक के सामने अब उपन्यास के प्रकाशन की समस्या मुंह बाए खड़ी थी. प्रियांक ने अपने स्तर से देश के कई नामी गिरामी प्रकाशन घरों के दरवाजे खटखटाये. लेकिन किसी ने इस लव स्टोरी को तबज्जो नहीं दी. इसके साल भर बाद नई दिल्ली स्थित टीएनएज पब्लिकेशन ने प्रियांक की भावनाओं को बाजार में उतारा. महज पांच महीने के अतंराल में ही किताब की तीन संस्करण छप चुकी है. इसके बाद जनवरी में अगला संस्करण लाने की तैयारी हो चुकी है.

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