धनबाद: पीकू, नीकू के बाद अब सीकू का भी मिलन पीएमसीएच में हो जायेगा. सुनने में भले यह किसी छोटे बच्चे के नाम की तरह लग रहा है, लेकिन वास्तव में ये तीनों मिलकर किसी भी बीमार नवजात को जीवन दान दे सकते हैं.
फिलहाल पीएमसीएच में सीकू बनकर तैयार है और लगभग एक वर्ष से खुलने के इंतजार में है. इधर, पीएमसीएच प्रबंधन इस केंद्र को खोलने के लिए रेस हो गया है. रांची के आदेश मिलते ही केंद्र को खोल दिया जायेगा. इससे धनबाद सहित आसपास के इलाकों के गरीब लोगों के नवजात बच्चों का इलाज किया जायेगा.
जानें पीकू, नीकू व सीकू को
पीकू (पीडियट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) : यह बच्चों का आइसीयू है. इसमें गंभीर रूप से बीमार बच्चों की जांच होती है. इसमें कार्डियक मॉनिटर, ऑक्सीजन, राउंड ए क्लॉक समेत वह सभी सुविधाएं होती है, जो बड़े के आइसीयू में होती है. पीएमसीएच में लंबे समय से चल रही है. यह 12 बेड की है.
नीकू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) : कई बच्चे नौ माह के पहले ही जन्म ले लेते हैं. ऐसे बच्चों को नीकू में रखा जाता है. नीकू की मशीनें ठीक उसी तरह की होती है, जैसे माता के गर्भ में रहता है. समय पूरा होने के बाद बच्चों को माता के सुपुर्द कर दिया जाता है. यह भी 12 बेड का है.
सीकू (स्कील नियोनेट केयर यूनिट) : इस केयर यूनिट में मस्तिष्क ज्वर, निमोनिया, डायरिया, हाई फीवर से पीड़ित बच्चों को भरती कराया जाता है. पीएमसीएच में चतुर्थ तल्ले पर यह बन कर तैयार है. इसे बनाने में करीब 25 लाख रुपये की लागत आयी है. इसमें भी 12 बेड लगने हैं.
क्यों देरी हुई
बीच में इसमें दरारें आ गयी थी. हालांकि इसे ठीक कर लिया गया है. लेकिन अब यह खुलने का इंतजार कर रही है. पीएमसीएच प्रबंधन ने बताया कि देरी की मुख्य वजह चिकित्सक व कर्मियों की तैनाती है. स्टाफ कम होने की वजह से इसे नहीं खोला जा रहा. हालांकि अब मुख्यालय स्तर से चिकित्सकों व कर्मियों की तैनाती की जा रही है. इसके रोस्टर बनाने जा रहे हैं. सीकू में लगभग छह एसी लगाये गये, इसके साथ पंखे भी लगाये गये हैं.
पीएमसीएच में यह सेंटर खुलने से ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब मरीजों को काफी लाभ होगा. मुख्यालय के आदेश के बाद जल्द इसे खोला जायेगा. वार्ड बन कर तैयार है.
डॉ यूएस प्रसाद, एचओडी, शिशु रोग विभाग.