धनबाद: सर, बेटी की स्थिति काफी खराब हो गयी है, आंखें नहीं खोल रही है. जल्दी उसका इलाज करिये..यह विनती बार-बार निरसा में डायरिया होने के बाद रूबी कर्मकार के पिता करते रहे. पिता कभी चिकित्सक के कमरे में जाते, तो कभी बेटी के पास आते. चिकित्सक जवाब देता, सभी को भरती नहीं कर सकते हैं.
कुछ लोगों को ही भरती कर सकते हैं. ..यह नजारा रविवार को करीब साढ़े ग्यारह बजे पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में देखने को मिला. दरअसल निरसा के खिलकनाली में एक श्रद्ध के दौरान खाना खाने के बाद पूरा गांव डायरिया से आक्रांत हो गया. आनन-फानन में किसी तरह निजी वाहनों से दो दर्जन मरीजों को पीएमसीएच लाया गया. लेकिन एक दर्जन मरीजों को चिकित्सकों ने गेट से ही लौटा दिया. गुस्साये लोगों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हंगामा किया. मरीजों को लाने वाली सहिया सुषमा बाउरी ने बताया कि मरीज काफी गंभीर स्थिति में थे, लेकिन अस्पताल वाले ने सभी को यह कहकर लौटा दिया कि इतने लोगों को भरती नहीं किया जा सकेगा. हमारे पास जगह नहीं है. इस संबंध में इलाज कर रहे चिकित्सक ने बताया कि जरूरत के हिसाब से ही मरीजों को भरती किया गया है.
नहीं थे स्टाफ, हर तरफ लापरवाही
इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक मरीजों को खुद चलकर जाना पड़ा. रविवार होने के कारण एक-दो को छोड़ कोई स्टाफ नहीं दिखा. इमरजेंसी में जहां-तहां मरीजों को लिटा दिया गया था. स्लाइन चढ़ाने में करीब दो घंटे लगे. शिशु वार्ड में आने के बाद वहां एक भी नर्स नहीं दिखी. बच्चे बुखार से भी कराहते रहे. वार्ड में मच्छरदानी भी नहीं थी. शाम को बिजली भी नहीं थी. इसके बाद लोगों ने बाहर से खरीदकर मोमबत्ती जलायी. इसके बाद वार्ड में रौशनी आयी.
जो लोग भरती कराये गये
पूनम कर्मकार (7), रूबी कर्मकार (12), एकादशी कर्मकार(12), पिंटू कर्मकार(14), प्रकाश कर्मकार(10), संजय कर्मकार (15), प्रदीप कर्मकार(12),संध्या कर्मकार(30), अंजना कर्मकार(32) व एक अन्य.
इन मरीजों को गेट से ही लौटाया
रंजीत बाउरी (15), रीना कर्मकार(22), बलराम(18), रासु कर्मकार(50), चंचल कर्मकार, वीणा कर्मकार( 29), सुमन कर्मकार(5), सदानंद कर्मकार(18), फेकु कर्मकार व तीन अन्य.