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बीसीसीएल प्रबंधन गंभीर, ब्योरा तलब

धनबाद: मिशन अस्पताल दुर्गापुर मामले को बीसीसीएल प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कंपनी के निदेशक कार्मिक बीके पंडा ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से इस बारे में पूरा ब्योरा तलब किया है. वहीं मिशन अस्पताल को बीसीसीएल के पैनल से हटाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. श्रमिक संगठनों के […]

धनबाद: मिशन अस्पताल दुर्गापुर मामले को बीसीसीएल प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कंपनी के निदेशक कार्मिक बीके पंडा ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से इस बारे में पूरा ब्योरा तलब किया है. वहीं मिशन अस्पताल को बीसीसीएल के पैनल से हटाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है.

श्रमिक संगठनों के बड़े नेताओं ने भी मिशन अस्पताल में बदइंतजामी व महंगा होने का आरोप लगाते हुए पैनल से हटाने की मांग की है. सोमवार को कोयला भवन के संयुक्त मोरचा के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने कंपनी के डीपी श्री पंडा से मिल कर मिशन अस्पताल को पैनल से हटाने की मांग करते हुए सीएमडी के नाम एक ज्ञापन दिया था. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि डीपी श्री पंडा ने संबंधित अधिकारियों से मिशन समेत कोलकाता के पैनल अस्पतालों में रेफर हुए रोगियों की संख्या,भुगतान, सक्सेस और अन सक्सेस रेट के बारे में पूरा ब्योरा तलब किया है.

ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा

मिशन अस्पताल का मिशन स्वास्थ्य पवित्र नहीं है. मरीजों के मद में बीसीसीएल से बहुत अधिक बिल लेता है. इलाज भी ठीक नहीं है. एम्स दिल्ली और सीएमसी वेल्लोर इससे सस्ता अस्पताल है. मिशन अस्पताल से तो बेहतर अपना केंद्रीय अस्पताल है.

एके झा, महामंत्री राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ

मिशन में उचित इलाज नहीं होता है. काफी शिकायतें हैं. वहां जाने वाले काफी मरीजों की मृत्यु होती रही है. प्रबंधन उसे अविलंब पैनल से हटाये. केंद्रीय अस्पताल की कमियों को दूर कर सुपरग्रेडेड अस्पताल बनाया जाये.

केके कर्ण, एटक नेता व सदस्य बीसीसीएल वेलफेयर बोर्ड

मिशन अस्पताल दुर्गापुर को पैनल से बाहर करते हुए पूरी जांच होनी चाहिए. वहां चिकित्सा की उचित व्यवस्था नहीं है. कर्मियों को दबाव देकर मिशन रेफर किया जाता है. कमीशन का खेल है. कर्मी जहां चाहे वहां रेफर होना चाहिए.

बिंदेश्वरी प्रसाद, अध्यक्ष धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ

कोलकर्मियों की जान से खिलवाड़ हो रहा है. अधिकांश कर्मियों को मिशन में ही क्यों रेफर किया जाता है. इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए. वहां उचित इलाज की एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. इलाज के मद में काफी ज्यादा बिल वसूलता है.

केपी गुप्ता, सदस्य बीसीसीएल वेलफेयर बोर्ड

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