धनबाद: पीएमसीएच का ब्लड बैंक नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी (नाको) की ओर से संचालित है. लेकिन यहां नाको की गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है.
पिछले वर्ष ब्लड बैंक का निरीक्षण करने आये नाको के डिप्टी डायरेक्टर डॉ शोभिनी रंजन ने ब्लड बैंक के अधिकारियों को नसीहत दी थी कि किसी भी जरूरत मंद को जरूरत के आधार पर ब्लड दें, जरूरी नहीं है कि उससे डोनर मांगा जाये. उन्होंने कहा कि जननी सुरक्षा योजना के तहत जितने भी ब्लड की जरूरत होगी, उसे दिया जाना चाहिए. ब्लड बैंक को गांवों के लोगों का खास ध्यान रखना चाहिए. लेकिन ब्लड बैंक में ऐसा नहीं हो रहा है.
परिजन व चिकित्सक के अपने-अपने तर्क
पिंकी को और दो यूनिट ब्लड नहीं दिये जाने को लेकर परिजन व चिकित्सकों के अपने-अपने तर्क है. पिंकी के पति ने बताया कि हमलोग ब्लड देना चाह रहे थे. लेकिन ब्लड बैंक के कर्मचारी बाद में आने को कह रहे थे. इस कारण देरी होती चली गयी. वहीं चिकित्सकों का कहना था कि महिला के लगभग 14-15 परिजन आये थे, लेकिन किसी ने ब्लड डोनेट नहीं किया. मौत होने के बाद सभी हंगामा करने लगे.
क्या कहते ब्लड बैंक के प्रभारी
ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ पीके सिंह के अपने तर्क है. उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट आदि केस में जितने ब्लड की जरूरत होती है, उसे दिया जाता है. लेकिन जननी सुरक्षा योजना के तहत एक साथ हमलोग तीन-चार यूनिट ब्लड नहीं दे सकते हैं. क्योंकि पहले यूनिट का खून तो चढ़ता है, लेकिन दूसरे व तीसरे यूनिट के खून को सामान्य फ्रीज में रख दिया जाता है, इससे कोल्ड चेन का मेंटेनेंस (एक खास तापमान) नहीं हो पाता है. इसलिए पहला यूनिट चढ़ाने के के चार-पांच घंटे बाद ब्लड दिया जाता है. हालांकि उसके बारे में जानकारी लेता हूं.