धनबाद: रंगदारी के आरोपी को पुलिस कस्टडी से छुड़ाने के मामले में आरोपित जेवीएम विधायक ढुल्लू महतो की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी सोमवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश तृतीय अशोक कुमार पाठक की अदालत ने खारिज कर दी .15 जून को ही हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने बचाव पक्ष से बहस की थी. एपीपी विनोद कुमार ने जमानत का जोरदार विरोध किया था.
क्या है मामला : 12 मई 2013 को आरोपी विधायक पर रंगदारी मामले के वारंटी राजेश गुप्ता को पुलिस गाड़ी से उतारने, बरोरा थानेदार राम नारायण चौधरी की सर्विस रिवालवर छीनने का प्रयास करने व वरदी फाड़ने का आरोप है.
घटना के बाद श्री चौधरी ने कतरास थाना में कांड संख्या 120/13 दर्ज कराया. इसमें विधायक ढुल्लू महतो, राजेश गुप्ता, गंगा साव, बसंत शर्मा, रामेश्वर महतो व चुनमुन गुप्ता को नामजद अभियुक्त बनाया. 22 मई को एक अंतरिम आदेश पारित कर अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर जो रोक लगायी थी वह अब खत्म हो गयी. पुलिस अब कभी भी विधायक ढ़ुल्लू महतो को गिरफ्तार कर सकती है.
अरुप को एक मामले मे जमानत, दो में नहीं
नाजायज माजमा बना कर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के तीन मामलों में आरोपी निरसा के मासस विधायक अरुप चटर्जी (जेल में बंद) की ओर से दायर जमानत अर्जियों पर सुनवाई सोमवार को सीजेएम एसके पांडेय की अदालत में हुई. अदालत ने मैथन थाना कांड संख्या 149/13 में जमानत दे दी. वहीं दो अन्य मामले चिरकुंडा (मैथन) थाना कांड संख्या 287/12 व 263/12 में दायर जमानत अर्जी खारिज कर दी. अभियोजन की ओर से एपीपी अरुण कुमार ने जमानत का जोरदार विरोध किया. वहीं सड़क जाम के एक मामले में सोमवार को आरोपी अरुप चटर्जी को पुलिस ने न्यायिक दंडाधिकारी संतोष कुमार नंबर दो की अदालत में उपस्थापन कराया गया. बचाव पक्ष ने इस केस में आरोपी को रिमांड करने का आग्रह किया.
फर्जीवाड़ा में पीओ समेत दस को तीन वर्ष की सजा
भाटडीह कोलियरी (डब्ल्यूजे एरिया) में कैजुअल मजदूर के नाम पर गलत लोगों की नियुक्ति किये जाने के मामले में सोमवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश आरएन तिवारी की अदालत ने भाटडीह कोलियरी के पूर्व कार्मिक प्रबंधक एचके चौधरी, एसएन दास, बीडी हजारी, आनंद तेली, जब्बार अंसारी, गणोश चंद्र गोस्वामी, हिमांशु कुमार घोष, शिशिर कुमार गयाली, विनोद कुमार गोस्वामी व सनत कुमार घोषाल को दोषी पा कर विभिन धाराओं में दो दो-तीन तीन साल की कैद व पांच हजार रुपये अर्थ दंड की सजा सुनाई.
बाद में अदालत ने सभी सजायाफ्ताओं को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी. बीसीकेयू की ओर से प्रबंधन को एक आवेदन देकर कैजुअल मजदूरों को नियमित करने की मांग की गयी थी. प्रबंधन ने फर्जीवाड़ा कर कैजुअल मजदूरों के नाम पर बाहरी लोगों को नौकरी दे दी. सीबीआइ ने इस मामले में गुप्त सूचना के आधार पर 22 जुलाई 83 को आरसी-10ए/83 दर्ज किया. सीबीआइ ने आरोपियों के खिलाफ 30 सितंबर 85 को आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के विशेष अभियोजक आर सिंह ने पैरवी की.