धनबाद: फिल्मों को ठुकरा कर रंगमंच में रमे रहने वाले सुप्रसिद्ध रंगमंच कलाकार 87 वर्षीय पांचकौड़ी मजूमदार को नवमी पर हरि मंदिर में झारखंड बंगला समिति हीरापुर तथा शारदीय सम्मेलनी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया. वरिष्ठ अधिवक्ता विनय कुमार मुखर्जी ने उत्तरीय प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया.
नहीं गये फिल्मों में : पांचकौड़ी मजूमदार को अपनी संस्कृति को नजरअंदाज कर वेस्टर्न कल्चर के पीछे दीवाना बनने वालों से काफी नाराजगी है. वह कहते हैं कि इतिहास नहीं वर्तमान की बात करता हूं. हमारी संस्कृति का लोहा पूरा विश्व मान रहा है. भारत की संस्कृति व वेशभूषा को विदेशी एडॉप्ट कर रहे है. लेकिन हमें इसका मूल्य मालूम नहीं. हीरापुर निवासी पांचकौड़ी दस वर्ष की उम्र से ही रंगमंच पर अभिनय करने लगे थे.
रेलवे में नौकरी करते हुए भी उन्होंने अपनी यह हॉबी नहीं छोड़ी. पुरानी बंगला फिल्म – अश्वमेघे य™ो घोड़ा में प्रसिद्ध फिल्मी कलाकार उत्पल दत्त के साथ-साथ कई नामी फिल्मी हस्तियों मसलन अमोल पालेकर, स्मिता पाटील, गिरीश कर्नाड आदि के साथ काम कर चुके हैं पांचकौड़ी दा. उत्पल दत्ता , जीतेश बंधोपाध्याय ने उन्हें फिल्म जगत में आने का न्योता भी दिया लेकिन इस कला प्रेमी को कभी नाम कमाने की भूख नहीं रही. वह कहते है कि फिल्म में जाने वाले रंगमंच कलाकारों को अपनी जमीनी कला की कुर्बानी देनी पड़ती है जो उन्हें पसंद नहीं.
200 नाटक-जात्र में कर चुके हैं अभिनय: लगभग दो सौ से अधिक हिंदी बंगला नाटक व जात्र में अभिनय कर चुके पांचकौड़ी दा ने 1984 में मनोज मित्र की साजोनो बागान नामक जात्र में अंतिम बार अभिनय किया. उन्होंने कहा कि काम की चाहत तो अभी भी होती है लेकिन शरीर साथ नहीं देता. रंगमंच की दुनिया के प्रसिद्ध कलाकार निताई लायक, शैलेंद्र सरकार, पुरूलिया के निर्मल चटर्जी, जीतेन गांगुली, नंदी गांगुली, मंटू बनर्जी के साथ काम कर चुके हैं पांचकौड़ी दा. उन्होंने बताया कि 1968-69 के दौर में कोलकाता आदि से महिला कलाकार यहां आना नहीं चाहते थे. ऐसे में उन्होंने खुद महिला की भूमिका में उतरना शुरू किया. इस कला ने उन्हें आगे बढ़ाने में और मदद की. रंगमंच की दुनिया को बचाये रखने के लिए उन्होंने शिष्य तपन राय जैसे लोगों से अंतिम सांस तक संघर्ष करने की अपील की है.