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कुड़मी को दें एसटी का दर्जा

धनबाद : कुड़मी को जनजाति में शामिल करने की मांग और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के आह्वान के साथ न्यू टाउन हॉल मे शनिवार को कुड़मी महसम्मेलन संपन्न हुआ. कई प्रस्ताव पारित किये गये. अध्यक्षता पार्षद गणपत महतो ने की. अपने संबोधन में विधायक जगरनाथ महतो ने कहा कि समाज के सम्मेलन में मंच […]

धनबाद : कुड़मी को जनजाति में शामिल करने की मांग और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के आह्वान के साथ न्यू टाउन हॉल मे शनिवार को कुड़मी महसम्मेलन संपन्न हुआ. कई प्रस्ताव पारित किये गये. अध्यक्षता पार्षद गणपत महतो ने की. अपने संबोधन में विधायक जगरनाथ महतो ने कहा कि समाज के सम्मेलन में मंच पर लोग बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते है. पर उस पर अमल नहीं करते. बिनोद बाबू ने कहा था दारू मत पियो, दहेज मत लो. लेकिन आज समाज के लोग दारू पीकर गिर पड़ते है.

दहेज लेते हैं. सम्मेलन मे कुड़मी समाज की एकता की बात होती है. पिछले लोकसभा चुनाव मे जलेश्वर बाबू गिरिडीह से खड़े हो गये. हम जितना वोट से हारे उससे दुगुना वोट जलेश्वर बाबू को मिले. ऐसे मे एकता कैसे होगी. खाली मंच पर बात करने से नहीं होगा. सिंदरी में महतो वोट अधिक है, फिर भी वहां से महतो चुनाव हार जाता है. सिर्फ भाषण देने से नहीं होगा. आंदोलन करना होगा. आप लोग आंदोलन की रूप रेखा तय करिए. हम हजारों समर्थकों के साथ शरीक होंगे.

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि टोटेमिक कुड़मी जनजाति है. इसकी भाषा,संस्कृति सभी जनजातीय है. कुड़मी समाज को संगठित कर जोरदार आंदोलन करने से ही जनजाति का दर्जा मिल सकता है. पूर्व विधायक शिवा महतो ने कहा कि नेताओं ने हमेशा कुड़मी समाज को ठगने का काम किया है. अब यह समाज किसी के बहकावे मे आने वाला नहीं है. अपना हक और अधिकार हम लड़ कर लेंगे. अन्य वक्ताओं ने कहा टोटेमिक कुड़मी पांच सितंबर 1950 तक आदिवासी के रूप में सूचीबद्ध थे.

किंतु 1952 मे कुड़मी को अनुसूचित जन जाति की सूची से बाहर कर दिया गया. इस कारण आदिवासी को मिलने वाले सभी तरह के सरकारी लाभ से कुड़मी समाज वंचित हो रहा है. वक्ताओं मे पूर्व सासंद शैलेंद्र महतो, पूर्व विधायक शिवा महतो, गजाधर महतो, महादेव महतो, राज किशोर महतो, श्याम सुंदर महतो, ज्योति महतो, तारिणी महतो, विजय महतो, मनोज महतो आदि शामिल है.

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