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कहते हैं उपभोक्ता: एजी! टूजी और थ्रीजी की तो बात ही बेमानी

धनबाद: प्रतिद्वंद्विता के इस दौर में भी बीएसएनएल की लचर सेवा को दूर करने की कोई कोशिश नजर नहीं आती. लोगों की शिकायतों को दूर करने का प्रयास नहीं किया जाता. जबकि निजी कंपनियां इस मामले में सक्रियता दिखाती है. इन्हीं सब कारणों से लोग लोग बीएसएनएल को बाय-बाय बोल रहे हैं. सिम के खरीदार […]

धनबाद: प्रतिद्वंद्विता के इस दौर में भी बीएसएनएल की लचर सेवा को दूर करने की कोई कोशिश नजर नहीं आती. लोगों की शिकायतों को दूर करने का प्रयास नहीं किया जाता. जबकि निजी कंपनियां इस मामले में सक्रियता दिखाती है. इन्हीं सब कारणों से लोग लोग बीएसएनएल को बाय-बाय बोल रहे हैं.

सिम के खरीदार नहीं मिलते : एक समय बीएसएनएल के सिम कार्ड के लिए लोगों को धक्का-मुक्की करनी पड़ती थी. लोग घंटों लाइन में लग कर सिम लेते थे. वर्तमान समय में बीएसएनएल के सिम फुटपाथ पर मामूली रकम में बेचे जा रहे हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिलते. इससे उलट निजी कंपनियां बेहतर सेवा के कारण उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही हैं.

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