अभी और बिजली संकट ङोलने को रहिए तैयार, क्योंकि
निरसा : दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के कमांडिंग एरिया खासकर धनबाद, बोकारो और गिरिडीह के लोगों को अभी और बिजली संकट के लिए तैयार रहना चाहिए. फिलहाल संकट से मुक्ति के आसार नहीं आ रहे.
डीवीसी के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी एसटी अफरोज की जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कोयला की कमी से बिजली के उत्पादन में कमी आयी है. डीवीसी की कुल उत्पादन क्षमता 6357.2 मेगावाट है. फिलहाल डीवीसी के ताप व जल विद्युत केंद्रों से कुल 2210 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने डीवीसी को न तो जुलाई 2014 तक का बकाया 8000 करोड़ रुपये और न ही मासिक बिल 160 करोड़ रु का भुगतान किया है. इस कारण डीवीसी कोयला कंपनियों को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है.
‘कैश एंड कैरी’ से आपूर्ति में बाधा : विज्ञप्ति के अनुसार कोयला कंपनियों का डीवीसी पर लगभग 1403 करोड़ रुपया बकाया हो गया है. कोयला कंपनियों ने हाल में ‘कैश एंड कैरी’ की नीति अपनायी है, इससे कोयला आपूर्ति में बाधा आ रही है. इसके कारण उत्पादन में लगातार गिरावट आयी है.
फिलहाल उत्पादन के लिए कोयला का कोई भंडारण शेष नहीं रह गया है. ऐसी परिस्थिति में विद्युत उत्पादन व आपूर्ति अनिश्चित हो गयी है. फलत: सभी उपभोक्ताओं के लिए घाटी क्षेत्र में व्यापक लोड शेडिंग व भार प्रतिबंध की स्थिति आ सकती है.
उत्पादन में सुधार के प्रयास जारी
श्री अफरोज ने कहा है कि डीवीसी उत्पादन में सुधार के सभी उपाय कर रही है. डीवीसी ने उपभोक्ताओं से परिस्थिति सुधरने तक सहयोग बनाये रखने की अपील की है. बताया गया कि मैथन व पंचेत के जल विद्युत केंद्र की पांचों यूनिट से उत्पादन किया जा रहा है.
अपर सचिव की पहल भी बेअसर
विदित हो कि गत 12 अगस्त को ही केंद्रीय ऊर्जा अपर सचिव सह डीवीसी के प्रभारी अध्यक्ष आरएन चौबे ने झारखंड के मुख्य सचिव को डीवीसी के बकाया में से एक हजार करोड़ रुपये अविलंब भुगतान करने से संबंधित एक पत्र दिया था. उन्होंने पत्र में कहा था कि बकाया भुगतान नहीं होने पर डीवीसी कर्मियों का भुगतान बंद हो जायेगा. यही नहीं, बकाया के कारण कोयला कंपनियों ने आपूर्ति करने में अक्षमता बतायी है.