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धनबाद में कला के कद्रदानों की कमी, लेकिन भविष्य सुनहरा

धनबाद : कंटेम्परेरी आर्ट में अपनी क्रिएटिविटी के जरिये दुनिया भर में पहचान बनाने वाले जाने माने पेंटर प्रभाकर कोलते मानते हैं कि कला का भविष्य मेट्रो शहरों में नहीं है. वे बताते हैं कि इसका सुनहरा भविष्य धनबाद जैसे छोटे शहरों में है. हालांकि अभी यहां कला के कद्रदानों की संख्या ना के बराबर […]

धनबाद : कंटेम्परेरी आर्ट में अपनी क्रिएटिविटी के जरिये दुनिया भर में पहचान बनाने वाले जाने माने पेंटर प्रभाकर कोलते मानते हैं कि कला का भविष्य मेट्रो शहरों में नहीं है. वे बताते हैं कि इसका सुनहरा भविष्य धनबाद जैसे छोटे शहरों में है. हालांकि अभी यहां कला के कद्रदानों की संख्या ना के बराबर है, लेकिन आने वाले दिनों में निश्चित यह शहर कलाकारों का एक उर्वर क्षेत्र बनने वाला है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि धनबाद आर्ट फेयर जैसे आयोजन की निरंतरता बनी रहे.

ऐसे आयोजन से कला के प्रति लोगों के रुझान में बदलाव आयेगा. वे बताते हैं कि मुंबई में जब जहांगीर आर्ट गैलरी की स्थापना की गयी थी. तब वहां काफी कम लोग आते थे. लेकिन आज हालात बिल्कुल बदल गये हैं. इस आर्ट गैलेरी में प्रदर्शनी के बुकिंग के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट है. लोग इसके लिए मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं. श्री कोलते धनबाद आर्ट फेयर के दूसरे दिन गुरुवार को लुबी सर्कुलर रोड स्थित विवाह स्थल में स्थानीय युवा कलाकारों से बात कर रहे थे.

उन्होंने इस मौके पर उन्हें कला की बारीकियों से भी अ‌वगत करवाया. उन्होंने बताया कि कला में वह ताकत है जो बिना कुछ कहे हजारों कहानियां बयां कर सकती है. यह एक ऐसा माध्यम है जो जीवन के हर पहलुओं को छुकर आ सकता है.

इसकी अंतहीन पहुंच ने अब तक इसकी परिभाषा भी निश्चित नहीं की है. फिर भी सामान्य शब्दों में इसे कौशल युक्त क्रियाओं द्वारा परिभाषित किया जाता है. इस कार्यशाला में 100 से अधिक युवाओं और छात्रों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर श्री कोलते को धनबाद आर्ट फेयर के निदेशक अभिषेक कश्यप और कवयित्री रश्मि केरिया ने स्मृति चिह्न दे कर सम्मानित किया.

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