धनबाद: खुद को नौका दुर्घटना में मृत घोषित कर मुआवजा लेने वाले निर्मल कुमार सिंह को आज न्यायालय ने जालसाजी एवं धोखाधड़ी के मामले में तीन वर्ष की सश्रम कारावास तथा दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया.
शुक्रवार को न्यायिक दंडाधिकारी राजीव त्रिपाठी के न्यायालय में जीआर केस नंबर 1800/2006 में आरोपी सात में से छह अभियुक्त को बरी कर दिया गया. सिर्फ निर्मल सिंह को सजा सुनायी गयी.
क्या है पूरा मामला : छह मार्च 1988 को कटिहार में हुई एक सड़क दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गयी थी. निर्मल सिंह के परिजनों ने निर्मल की मौत की सूचना दे कर बीमा कंपनी से 50 एवं 56 हजार का दो क्लेम लिया. साथ ही बिहार सरकार से भी मुआवजा ले लिया. 17 जून 2004 को निर्मल सिंह को उदय शंकर सिंह ने अपने चाचा के श्रद्ध कर्म में शामिल होते देखा. उन्होंने बैंक मोड़ थाना में निर्मल सिंह के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया. सनद हो कि निर्मल सिंह को एसटी केस संख्या 20/ 1980 जो हत्या से जुड़ा है में वर्ष 1984 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी. इस मामले में निर्मल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपील के लिए जमानत ली थी. बाद में खुद को मृत घोषित कर बिहार में नरेंद्र प्रताप सिंह के नाम से रहने लगा.