धनबाद : 19 जोड़ी ट्रेनों की बंदी, लगातार बिजली-पानी संकट भाजपा के लिए कोयलांचल में नासूर बन गया है. चुनावी वर्ष में पार्टी इन मुद्दों के काट खोजने में लगी है.
सुरक्षा के बहाने बंद हैं ट्रेनें : देश की कोयला राजधानी धनबाद में इन दिनों जन समस्याएं हावी हैं. जून 2017 से धनबाद-चंद्रपुरा वाया कतरास रेल लाइन बंद है. इसके चलते 19 जोड़ी ट्रेनें बंद हो गयीं. देश के विभिन्न क्षेत्रों से धनबाद का सीधा रेल संपर्क कट गया. खासकर उत्तर एवं पूर्वी बिहार के रहने वाले लोगों को भारी परेशानी हो रही है.
इसका हर स्तर पर आज भी विरोध हो रहा है. कतरास स्टेशन के पास तो बंदी के दिन से ही वार्ड पार्षद विनोद गोस्वामी के नेतृत्व में धरना चल रहा है. अगले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में धनबाद, गिरिडीह लोकसभा सीट पर यह बड़ा मुद्दा बन सकता है. इस रूट पर ट्रेनों का फिर से परिचालन शुरू कराने के लिए धनबाद के सांसद पशुपति नाथ सिंह, गिरिडीह के सांसद रवींद्र पांडेय, धनबाद के विधायक राज सिन्हा, बाघमारा के विधायक ढुलू महतो ने कई स्तर पर प्रयास किया. पार्टी नेतृत्व व रेल मंत्रालय पर दबाव बनाने का प्रयास किया. लेकिन, यह विफल रहा.
बिजली संकट पर नहीं कोई जवाब: कोयलांचल में गंभीर बिजली संकट व्याप्त है. डीवीसी लगातार यहां बिजली आपूर्ति में कटौती कर रहा है. हंगामा होने पर लोडशेडिंग में कुछ कटौती की जाती है. अब तो आठ-दस घंटे की लोड शेडिंग हो रही है. बढ़ते जनाक्रोश पर यहां के जन प्रतिनिधियों के पास कोई जवाब नहीं है. केंद्र एवं राज्य में भाजपा की ही सरकार होने से किसी पर दोषारोपण भी नहीं कर पा रहे.
रेलवे की लापरवाही से नहीं शुरू हो रही ट्रेन : पीएन सिंह
सांसद पीएन सिंह कहते हैं कि डीसी रेल लाइन पर ट्रेनों का परिचालन भले ही सुरक्षा कारणों से बंद हो. लेकिन, रेल प्रबंधन सक्रिय रहता तो वैकल्पिक रूट पर ट्रेन सेवा शुरू की जा सकती थी. जैसे सीतारामपुर के पहले लाइन डायवर्ट कर ट्रेनों को सीधे चित्तरंजन भेजा जाता है.
उसी तरह रेलवे चाहे तो गोमो से तीन किलोमीटर पहले लाइन डायवर्ट कर सीधे चंद्रपुरा की तरफ ट्रेनें चला सकता है. इससे गोमो स्टेशन पर लोड नहीं बढ़ेगा. साथ ही बंद कुछ अति महत्वपूर्ण ट्रेनों को फिलहाल वाया गोमो चला सकती है.
आस नहीं छोड़े हैं : रवींद्र
डीसी लाइन पर ट्रेनों का परिचालन फिर से शुरू कराने को लेकर अब भी आस नहीं छोड़े हैं. लाइन को उखाड़ कर कोयला निकालने या इस पर फिर मालगाड़ी चलाने का मंसूबा सफल नहीं होगा. इसके लिए लगातार दिल्ली में रेल व कोयला मंत्रालय के वरीय अधिकारियों तथा मंत्री से भी बात हो रही है.