धनबादः पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक्स विभाग खुद मरहम पट्टी की बाट जोह रहा है. विभाग के पास पठन-पाठन के लिए न पर्याप्त शिक्षक हैं, न कामकाज देखने के लिए कर्मचारी. विभाग का सारा कामकाज तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संभाल रहे हैं. मात्र एक महिला स्टाफ है. एसोसिएट प्रोफेसर, टय़ूटर आदि का पद खाली है. एक प्रोफेसर व दो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. विभाग के पास दो सीनियर रेजिडेंट चिकित्सक हैं, लेकिन मरीजों की संख्या के आगे चिकित्सकों की संख्या नगण्य है.
लाइब्रेरी में 12,616 किताबें : पीएमसीएच के सेंट्रल लाइब्रेरी में कुल 46,533 किताबें हैं. इनमें से 12616 किताबें ऑर्थोपेडिक्स की है. अंतिम तीन वर्षो से लेटेस्ट एडिशन की एक भी किताबें क्रय नहीं की गयी है. इतना ही नहीं विभाग के पास रिकवरी रूम, उपकरण आदि का घोर अभाव है. विभाग का अपना कोई भी लैब टेक्निशियन नहीं है. डिपार्टमेंटल रिसर्च लैब्रोटरी भी नहीं है. बेड साइट लैब्रोटरी का भी अभाव है. ऑर्थोपेडिक्स विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मजबूरी में बाहर से जांच करानी पड़ती है. अस्पताल में एक्स रे को छोड़ कर किसी भी प्रकार की जांच की सुविधा नहीं है. पैथोलॉजी में भी कई जांच मरीजों को मजबूरी में बाहर से करानी पड़ रही है. सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि ऑर्थोपेडिक्स विभाग के इंडोर वार्ड को चौथे तल्ले पर बनाया गया है. वार्ड में जाने के लिए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. परिजनों को ही मरीज को ऊपर तक ले जाना पड़ता है.
सेंट्रल कैजुअलिटी तैयार नहीं : पीएमसीएच में करीब तीन करोड़ की लागत से सेंट्रल कैजुअलिटी निर्माणाधीन है. इस कारण अस्पताल में आपातकालीन सेवा की स्थिति बेहतर नहीं है. हालांकि हाल में इमरजेंसी को सेंट्रालाइज्ड किया गया है, लेकिन कभी चिकित्सक, तो कभी कर्मचारी गायब रहते हैं.