धनबाद: धनबाद लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने मोदी लहर के सहारे विरोधियों को जबरदस्त पटकनी दी. लाल गढ़ निरसा से ले कर इस्पात नगरी तक विरोधी धराशायी हो गये. कांग्रेस प्रत्याशी ही अपनी इज्जत बचाने में सफल रहे.
देश भर में चली कांग्रेस विरोधी तथा नरेंद्र मोदी की लहर के कारण इस बार यहां भाजपा प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह की जीत पहले से तय मानी जा रही थी. लेकिन, इतनी जबरदस्त जीत की कल्पना भाजपा समर्थकों को भी नहीं थी. सभी छह विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के वोटों में इजाफा हुआ. निरसा विधानसभा क्षेत्र, जो यहां वाम दलों का गढ़ माना जाता है, में भाजपा प्रत्याशी को एक लाख छह हजार से अधिक वोट मिले. यहां वाम मोरचा एवं जदयू समर्थित आनंद महतो को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा. निरसा में मासस प्रत्याशी को सिर्फ 15,054 वोट मिले तथा वह कांग्रेस प्रत्याशी अजय दुबे से भी 21 हजार वोटों से पीछे रहे. निरसा में भाजपा प्रत्याशी ने 70 हजार से भी अधिक वोटों से लीड लिया, जो 2009 चुनाव के मुकाबले दोगुना है. सिंदरी विधानसभा क्षेत्र, जहां से मासस प्रत्याशी आनंद महतो चार विधायक रह चुके हैं, में भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ही हुआ. सिंदरी में भाजपा प्रत्याशी को 76,293, कांग्रेस को 47,229 तथा मासस को 34,914 वोट मिला.
धनबाद-झरिया में बादशाहत बरकरार : भाजपा प्रत्याशी धनबाद एवं झरिया विधानसभा क्षेत्र में अपनी बढ़त बरकरार रखने में सफल रहे. धनबाद विधानसभा क्षेत्र में पिछले लोस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सिर्फ दस हजार की बढ़त ले पाये थे. इस बार यहां उन्होंने 63 हजार से भी अधिक मतों से लीड हासिल किया. झरिया विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा ने 40 हजार से अधिक मतों से लीड लिया. इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में अन्य प्रत्याशियों की स्थिति काफी दयनीय रही.
बोकारो में समरेश को जोर का झटका
इस्पात नगरी बोकारो में भी मुकाबला कांग्रेस, भाजपा के बीच ही रहा. बोकारो के विधायक समरेश सिंह को यहां सिर्फ 24,968 वोट मिले. जबकि भाजपा को 1,26,069 तथा कांग्रेस को 52,268 वोट मिले. 2009 लोस चुनाव में समरेश सिंह ने बोकारो में लीड लिया था. इस बार के चुनाव में सिर्फ चंदनकियारी विधानसभा क्षेत्र ही ऐसा रहा जहां भाजपा प्रत्याशी को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. यहां जेवीएम के समरेश सिंह को 36, 040, भाजपा को 35,644 तथा कांग्रेस को 20,409 वोट मिला. यानी समरेश सिंह ने लगभग चार सौ वोट से लीड लिया. हालांकि भाजपा के लिए यह काफी संतोषजनक रहा कि चंदनकियारी में 2009 के चुनाव के मुकाबले उसका वोट काफी बढ़ा. पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को सिर्फ दस हजार वोट मिले थे.
ददई दुबे को नहीं मिला साथ
यह चुनाव तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी एवं धनबाद के पूर्व सांसद चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे के लिए काफी निराशजनक रहा. 2004 के लोस चुनाव में जीत दर्ज कर भाजपा का किला ध्वस्त करने वाले श्री दुबे 2009 में दो लाख से अधिक वोट ला कर दूसरे स्थान पर रहे थे. इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज ददई दुबे ने पार्टी से इस्तीफा दे कर तृणमूल का दामन थाम लिया. लेकिन, जनता ने उन्हें साथ नहीं दिया. उन्हें सिर्फ 29,937 वोट मिला.