सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाने में झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन अभूतपूर्व भूमिका निभा रही है, ताकि गरीब के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके एवं शिक्षा का औद्योगिकीकरण होने से बचाया जा सके.
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विधायकों से मिला झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, आरटीइ एक्ट में संशोधन करे सरकार
धनबाद: एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल, धनबाद विधायक राज सिन्हा, टुंडी विधायक राजकिशोर महतो व निरसा विधायक अरूप चटर्जी से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग विधानसभा में रखने का अनुरोध किया. एसोसिएशन के सचिव प्रवीण दुबे ने बताया कि यह कार्यक्रम झारखंड के सभी जिलों में चल रहा है. सांसदों को भी […]
धनबाद: एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल, धनबाद विधायक राज सिन्हा, टुंडी विधायक राजकिशोर महतो व निरसा विधायक अरूप चटर्जी से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग विधानसभा में रखने का अनुरोध किया. एसोसिएशन के सचिव प्रवीण दुबे ने बताया कि यह कार्यक्रम झारखंड के सभी जिलों में चल रहा है. सांसदों को भी ज्ञापन सौंपा जायेगा.
प्रतिनिधिमंडल में थे शामिल : एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष एसके सिन्हा ,उपाध्यक्ष केडी चौधरी, सह सचिव अरिजीत गुहा, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार, संयोजक योगेश कुमार, मीडिया प्रभारी सुधांशु शेखर, कतरास प्रभारी राममिलन साहू, एमके शर्मा, निरसा प्रभारी आरके मिश्रा, अरविंद चक्रवर्ती, कुमारधुबी प्रभारी संजय यादव, गोविंदपुर प्रभारी नीरज झा, पीयूष कुमार, राजगंज प्रभारी इंदुशेखर झा, बरवाअड्डा प्रभारी राधेश्याम, गोमो-तोपचांची प्रभारी शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा, झरिया प्रभारी गोपाल राय, करकेंद्र प्रभारी संजय चौबे, सचिन सौंडिक, जिला प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव आदि.
एसोसिएशन की मांगें
छात्रों की संख्या के आधार पर कमरे का मानक सुनिश्चित किया जाये. मसलन प्रति छात्र चार-पांच स्क्वायर फुट की जगह सुनिश्चित की जाये. इससे छोटे निजी स्कूलों पर आर्थिक बोझ कम होगा. शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. साथ ही कम शुल्क में बच्चे बेहतर शिक्षा पा सकेंगे.
जमीन संबंधी बाध्यता समाप्त कर शिक्षा का औद्योगिकीकरण होने से बचाया जाये. राज्य में सीएनटी व एसपीटी एक्ट के कारण कुछ विशेष जगहों को छोड़ भूमि का क्रय-विक्रय नहीं हो सकता. विकसित बड़े शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में जो विक्रय योग्य भूमि है, उसकी कीमत आसमान छू रही है.
स्कूल किसी ट्रस्ट या सोसाइटी द्वारा संचालित हो. स्वतंत्र स्कूलों में अधिकांश किसी ट्रस्ट या सोसाइटी द्वारा संचालित है और पूर्व से ही इसका पालन करते आ रहे हैं.
आरटीइ एक्ट 2009 के तहत 25 प्रतिशत अभिवंचित वर्ग के बच्चों का पठन-पाठन स्वतंत्र स्कूलों में सुनिश्चित किया जाये. इन बच्चों के पठन-पाठन का शुल्क सीधा स्कूल के खाते में भेजा जाये, चाहे वह स्कूल मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त.
आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा लेने से पहले गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को मान्यता प्रदान की जाये. मान्यता डीएसइ द्वारा देने की व्यवस्था हो, ताकि स्वतंत्र स्कूलों के बच्चे भी आठवीं बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकें.
शिक्षा के क्षेत्र में दिये जाने वाले पुरस्कारों में स्वतंत्र स्कूलों के शिक्षकाें की भागीदारी सुनिश्चित की जाये. अब तक सरकारी स्कूलों के शिक्षकाें को पुरस्कृत करने की परंपरा रही है. स्वतंत्र स्कूलों के शिक्षक भी उसी पाठ्यक्रम का अनुपालन कर बच्चों को सफलता दिलाते हैं.
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