धनबाद: झरिया में विहिप व बजरंग दल के शौर्य दिवस जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प के बाद तनाव पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की पहल पर घंटे भर में समाप्त हो गया. पुलिस को सख्ती भी करनी पड़ी, लेकिन अगर पहले ही एहतियातन उपाय किये गये होते तो इस तरह की घटना को टाला जा सकता था. मामले में सरकारी खुफिया एजेंसी की विफलता भी सामने आ रही है.
झारखंड में पुलिस की विशेष शाखा का विंग है. सभी जिलों में डीएसपी व इंस्पेक्टर स्तर के प्रभारी के साथ थाना व सर्किल स्तर पर अफसरों की टीम है. विशेष शाखा की टीम मुख्यालय रांची को सूचना भेजती है. विशेष शाखा मुख्यालय से संबंधित सूचना को पुलिस मुख्यालय भेजा जाता है.
विशेष शाखा मुख्यालय की सूचना के आलोक में संबंधित जिलों के एसपी को अलर्ट किया जाता है. विशेष शाखा की सटीक सूचना पर धनबाद ही नहीं, राज्य में कई घटनाओं में पुलिस की बड़ी सफलता मिली है. राज्य स्तर पर विगत कई सालों से विशेष शाखा का नेटवर्क काफी मजबूत हुआ है. सरकार व पुलिस मुख्यालय को विशेष शाखा की सूचना से कार्रवाई में लाभ होता है.
अफसरों के पास मोबाइल फोन, वाहन आदि सुविधाएं दी गयी हैं. विशेष शाखा का अपना मुखबिर भी होता है. धनबाद में झरिया में विहिप के शौर्य दिवस व हिंदू संगठनों की रैली के दौरान अल्पसंख्यक बहुल इलाकों से गुजरने के संबंध में संभावित विवाद के बारे में कोई अलर्ट नहीं किया गया था. अगर विशेष शाखा की सूचना होती तो संबंधित क्षेत्र में मजिस्ट्रेट के साथ अतिरिक्त पुलिस की तैनाती उसी तरीके से की गयी थी.