उत्तर भारत में सर्दियों के वक्त काफी घना कोहरा पड़ता है. इस दौरान पटरी पर खड़ी ट्रेन को दूर से पीछे से आ रही ट्रेन के ड्राइवर को नहीं दिखती है. ऐसे में टक्कर हो जाती है. अब ट्रेनों की टक्कर न हो, इसके लिए सभी प्रमुख रूटों पर सिग्नल प्रणाली को मैन्युल तरीके से हटाकर के ऑटोमेटिक किया जा रहा है.
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अब रेलवे के नये सिग्नल सिस्टम से नहीं लड़ेंगी ट्रेनें
धनबाद: रेल सफर आनेवाले दिनों में और सुरक्षित होगा. रेलवे एक ऐसा नया सिग्नल सिस्टम लॉन्च करने जा रहा है, जिससे एक ट्रेन पटरी पर खड़ी दूसरी ट्रेन से नहीं भिड़ेंगी. अधिकांश ट्रेनें, कोहरे व अन्य वजह से दूसरी ट्रेन से भिड़ जाती हैं, जिससे जान-माल को काफी नुकसान होता है. इसके साथ ही रेलवे […]
धनबाद: रेल सफर आनेवाले दिनों में और सुरक्षित होगा. रेलवे एक ऐसा नया सिग्नल सिस्टम लॉन्च करने जा रहा है, जिससे एक ट्रेन पटरी पर खड़ी दूसरी ट्रेन से नहीं भिड़ेंगी. अधिकांश ट्रेनें, कोहरे व अन्य वजह से दूसरी ट्रेन से भिड़ जाती हैं, जिससे जान-माल को काफी नुकसान होता है. इसके साथ ही रेलवे में डीजल इंजन का चलन अगले पांच साल में इतिहास बन जायेगा.
अगले पांच साल में विदा होंगे डीजल इंजन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगले पांच सालों में रेलवे डीजल इंजन को पूरी तरह से हटा लेगा. अभी जहां डीजल इंजन का प्रयोग होता है, वहां इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलायी जायेंगी. इससे रेलवे को सालाना 10500 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है. डीजल इंजन की जगह केवल बिजली के इंजन का ऑपरेशन के लिए प्रयोग किया जायेगा.
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