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बेजोड़ है रूस की तकनीक व संस्कृति : आनंद

धनबाद :रूस की तकनीक और संस्कृति का जोड़ नहीं है. आज भी भारतीय अंग्रेजी बोलने में गर्व करते हैं, लेकिन रूस जाकर देखा तो पता चला कि वहां लोग सिर्फ और सिर्फ एक ही भाषा जानते हैं वह भी अपनी मातृभाषा. उक्त बातें सोमवार को रूस के सोची में आयोजित 19वें विश्व युवा एवं छात्र […]

धनबाद :रूस की तकनीक और संस्कृति का जोड़ नहीं है. आज भी भारतीय अंग्रेजी बोलने में गर्व करते हैं, लेकिन रूस जाकर देखा तो पता चला कि वहां लोग सिर्फ और सिर्फ एक ही भाषा जानते हैं वह भी अपनी मातृभाषा. उक्त बातें सोमवार को रूस के सोची में आयोजित 19वें विश्व युवा एवं छात्र महोत्सव से लौट कर आये धनबाद रेल मंडल के सीनियर डीपीओ उज्जवल आनंद ने बतायी.

कहा कि हम लोगों के लिए अलग से वोलेंटियर थे, जो दुभाषिये का काम करते थे. श्री आनंद 14 से 22 अक्तूबर तक इस महोत्सव में भारतीय रेल की तरफ से प्रतिनिधित्व करने गये थे. उनके साथ भारतीय रेल से 10 सदस्य थे. सम्मेलन में 180 देश के लगभग 20 हजार प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे. उन्होंने बताया कि रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतीन कार्यक्रम के उद्घाटन व समापन सत्र में शामिल हुए.

आरामदायक रेलयात्रा और रफ्तार में चलती कार
श्री आनंद ने बताया कि वह इस दौरान रेड ऐरो एक्सप्रेस ट्रेन से सेंट पिट्सबर्ग से मास्को सेकेंड क्लास में गये. वहां लोग बिना धक्का-मुक्की के ट्रेन में सवार हो रहे थे. ट्रेन में इंट्री के दौरान महिला टीटीइ ने टिकट की जांच की और उसके बाद आसानी से अंदर गये. अंदर जाकर देखा कि सभी की बर्थ पर चादर तकिया के साथ आगे खाने के पैकेट, पानी, चप्पल, ब्रश व ट्रेन में प्रयोग करने वाले सभी सामान उपलब्ध हैं. उतरने के समय सभी उन सामानों को छोड़ उतर गये. पूरे रास्ते में कोई परेशानी नहीं हुई. वहां की तकनीक और स्टॉफ के काम करने का तरीका बहुत अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि सड़क मार्ग से सफर के दौरान उनकी कार 250 किलो मीटर प्रतिघंटा के रफ्तार से चल रही थी. जब उनका ध्यान कांटा पर गया तो देखा कि कार में कोई परेशानी नहीं है और आराम से गाड़ी चल रही है.

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