धनबाद: धनबाद जिले के लगभग 70 फीसदी लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत तैयार सूची में है. यह अलग बात है कि इनमें बहुत सारे लागे सरकारी राशन का लाभ नहीं ले रहे हैं. इस सूची में शामिल समृद्ध लोगों का नाम काट कर छूटे हुए जरूरतमंदों का नाम जोड़ना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी. धनबाद जिले की आबादी लगभग 28 लाख है.
इनमें से लगभग 18 लाख से भी अधिक लोगों को जन वितरण प्रणाली के तहत राशन मिल रहा है. सामाजिक, आर्थिक जनगणना के आधार पर तैयार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुकों की सूची में काफी गड़बड़ियां पकड़ में आ चुकी हैं. झरिया की पूर्व विधायक कुंती देवी से ले कर बीसीसीएल के कई अधिकारी तक का नाम इस सूची में डाल दिया गया था. समीक्षा के दौरान गड़बड़ियां पकड़ में आने के बाद बहुत सारे अयोग्य लोगों का नाम इस सूची से हटाया जा चुका है. अभी धनबाद जिला को सरकार से आवंटित कोटा फुल है. यहां अभी चार लाख 11 (4,11,000) परिवार का नाम इस सूची से जुड़ा है.
नाम हटाने में क्या है बाधा : सूची में बहुत सारे लोगों ने राशन के लिए नहीं, बल्कि अन्य दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जुड़वाया है. खासकर स्वास्थ्य योजना का लाभ लेने के लिए. सूची में नाम जोड़ने या काटने के लिए वार्ड व पंचायत स्तर पर आमसभा करने का प्रावधान है. लेकिन अधिकांश स्थानों पर आमसभा में ही गड़बड़ी होती है. संबंधित वार्ड पार्षद या मुखिया के दफ्तर में ही आमसभा की कागजी प्रक्रिया पूरी कर दी जाती है. वोट की राजनीति के कारण पार्षद या मुखिया अयोग्य लोगों का सूची से नाम काटने में डरते हैं. जो नाम काटे गये हैं उनमें से अधिकांशत: सरकारी कर्मी या बहुत रईस लोग हैं जो स्वत: नाम कटवाने के लिए आगे आये.