एक तो यहां 25 से 40 फीसदी लोगों को बिल ही नहीं मिल रहा है और जिन्हें मिल रहा है उनकी बिलिंग में इतनी गड़बड़ी होती है कि वह बिल जमा नहीं कर पाता. बिल की गड़बड़ी सुधारने के लिए हफ्ता-दस दिन तक चक्कर लगाना पड़ता है. पहले इइ के पास जाना पड़ता है फिर वे 240 रुपये की रसीद कटवाने के लिए कहेंगे तब मीटर जांच होगी. इस दौरान दौड़ते – दौड़ते उपभोक्ता परेशान हो जाते हैं. बावजूद बिल आधा – अधूरा ही सही हो पाता है. रिपोर्ट आने के बाद जो बिल दर्शाया जायेगा, उसे हर हाल में उपभोक्ता को देना पड़ेगा.
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ऊर्जा विभाग: परेशान उपभोक्ता बार-बार दफ्तर के चक्कर लगाने को मजबूर, ऑनलाइन बिलिंग परेशानी का सबब
धनबाद: झारखंड में पूरे तामझाम से ऑनलाइन बिलिंग शुरू हुई. लेकिन पांच महीने बाद भी यह सफल नहीं हो सकी है. इस वजह से उपभोक्ता परेशान हैं. ऊर्जा विभाग के डिवीजन कार्यालय में रोज इसको लेकर किचकिच होती है. प्रतिदिन औसतन 40 से 60 उपभोक्ता बिल संबंधी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. दिलचस्प बात तो […]
धनबाद: झारखंड में पूरे तामझाम से ऑनलाइन बिलिंग शुरू हुई. लेकिन पांच महीने बाद भी यह सफल नहीं हो सकी है. इस वजह से उपभोक्ता परेशान हैं. ऊर्जा विभाग के डिवीजन कार्यालय में रोज इसको लेकर किचकिच होती है. प्रतिदिन औसतन 40 से 60 उपभोक्ता बिल संबंधी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. दिलचस्प बात तो यह कि जिस राजस्थान राज्य से प्रभावित होकर झारखंड में इसे शुरू किया गया था, वहां फिर से कंप्यूटराइज्ड बिल दिया जाना शुरू कर दिया गया है.
झारखंड में इसे शुरू किये जाने से पहले ऊर्जा विभाग के अभियंता प्रमुख सीडी कुमार जयपुर में 15 दिनों के लिए ट्रेनिंग पर गये. वहां उस टेक्नोनॉली को समझा और फिर यहां आकर रिपोर्ट की. अप्रैल, 17 से इसे शुरू कर दिया. धनबाद में पांच माह बीत जाने के बाद भी बिल सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है.
इस संबंध में कैलाश चंद्र गोयल, सदस्य झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिक रेगुलेटरी कमीशन (झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग) का कहना है कि जयपुर में पहले इसे शुरू किया गया था. लेकिन वहां सफल नहीं होने पर दुबारा कंप्यूटराइज्ड बिल शुरू किया गया है. धनबाद में उपभोक्ताओं को परेशानी नहीं हो इसके लिए यहां भी पहले की तरह बिल दिया जाना चाहिए.
ऑनलाइन पेमेंट में फंस रही जमीन व मकान की रजिस्ट्री
धनबाद. जमीन व मकान की ऑन लाइन रजिस्ट्री से क्रेता व विक्रेता दोनों को पसीने छूट रहे हैं. प्री रजिस्ट्रेशन के बाद जब रजिस्ट्री कराने के लिए क्रेता व विक्रेता आते हैं तो उनका कई तरह की परेशानियों से सामना होता है. मसलन कभी लिंक फेल, तो कभी आधार कार्ड तो कभी पेमेंट में एरर की समस्या. मंगलवार को कुसुम विहार की मालकेशरी देवी प्रोपर्टी की रजिस्ट्री कराने पहुंची. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब पेमेंट की बारी आयी तो उन्होंने अपने डेबिट कार्ड से 573 रुपये का ऑनलाइन पेमेंट की इंट्री करायी. जैसे ही ओके हुआ, पेमेंट में एरर बताने लगा. जबकि मालकेश्वरी देवी का पेमेंट कट गया. मालकेश्वरी देवी ने दूसरी बार ट्राइ किया. दूसरी बार भी एरर बताकर पैसा कट गया. इस तरह का यह पहला मामला नहीं बल्कि हर दिन पेमेंट में यह समस्या आ रही है.
दोनों व्यवस्था चालू रखे सरकार
दस्तावेज लेखक संघ के प्रवक्ता दिलीप श्रीवास्तव ने कहा कि नयी व्यवस्था में गेटवे ऑफ पेमेंट के आधार पर भुगतान हो रहा है. एकाउंट या डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान लिया जा रहा है. नयी व्यवस्था से परेशानी बढ़ गयी है. एक तो सर्वर काफी स्लो है. पेमेंट मोड में आने के बाद जैसे ही इंट्री की जाती है, सॉफ्टवेयर एरर बताने लगता है. जबकि क्रेता के एकाउंट से पैसा कट जाता है. इसके पूर्व में ऑन लाइन चालान जेनेरेट कर बैंक में पेमेंट किया जाता था. संघ की मांग है कि जब तक ऑन लाइन व्यवस्था दुरुस्त नहीं होती है, तब तक चालान की भी व्यवस्था चालू रखी जाये.
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